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कतका झन देखे हें-

ओ दरूहा मनखे

डुगुर-डुगुर डोले, बकर-बकर बोले, गांव के अली-गली मा, ओ दरूहा मनखे । कोनो ल झेपय नही, कोनो न घेपय नही, एखर-ओखर मेर, दत जाथे तन के ।। अपने ओरसावत, अपने च सकेलत, झुमर-झुमर झूम, आनी-बानी गोठ ला । ओ कोनो ला ना सुनय, ना ओ कोनो ला देखय, देखावत हे अपने, हाथ करे चोट ला ।।

काबर करे अराम

आधा करके काम ला, काबर करे अराम । आज काल के फेर मा, कतका बाचे काम ।। कतका बाचे काम, देख के चिंता होही । करहि जेन हा ढेर, बाद मा  बहुते रोही ।। मन के जीते जीत, हार मन के हे व्याधा। चिंता मा तन तोर, होय सूखा के आधा।।

शुभ दीपावली

घर घर दीया बार, आज हे गा सुरहोत्ती । तुलसी चैरा पार, तोर घर कुरिया कोठी । घुरवा परिया खार, खेत बारी हे जेती । रिगबिग रिगबिग देख, हवय गा चारो कोती ।।

कब आबे होश मा

एती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देष मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेष मा ।। देष के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो  कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।।

दो कवित्त्त

     दो कवित्त्त                                   1- फेशन के चक्कर मा, दूसर के टक्कर मा, लाज ला भुलावत हे, टूरा टूरी गांव के । हाथ धरे मोबाईल, फोकट करे स्माईल, करत आंख मटक्का, धरे मया नाव के ।। करे मया देखा देखी, संगी संगी ऐती तेती, भागत उड़रहीया,  यै लईका आज के । ददा ला गुड़ेरत हे, दाई ला भसेड़ेत हे, टोरत हे आजकल, फईका लाज के  ।                     2-. ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देष के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो  कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।।

हमर किसान गा (मनहरण घनाक्षरी)

मुड़ मा पागा लपेटे, हाथ कुदरा समेटे, खेत मेड़ मचलत हे, हमर किसान गा । फोरत हे मुही ला, साधत खेत धनहा, मन उमंग हिलोर, खेत देख धान गा । लहर-लहर कर, डहर-डहर भर, झुमर-झुमर कर, बढ़ावत शान गा । आनी-बानी के सपना, आंखी-आंखी संजोवत, मन मा नाचत गात, हमर किसान गा ।

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