गोठ करे हे पोठ रे, संत कबीरा दास ।
आंखी रहिके अंधरा, देखे कहां उजास ।।
देखे कहां उजास, अंधियारे हा भाथे ।
आंखी कान मूंद, जेन अपने ला गाथे ।।
देखय ओ संसार, जेन जग छोड़ खड़े हे ।
परे जगत के फेर, आत्म के गोठ करे हे ।।
-रमेश चौहान
आंखी रहिके अंधरा, देखे कहां उजास ।।
देखे कहां उजास, अंधियारे हा भाथे ।
आंखी कान मूंद, जेन अपने ला गाथे ।।
देखय ओ संसार, जेन जग छोड़ खड़े हे ।
परे जगत के फेर, आत्म के गोठ करे हे ।।
-रमेश चौहान
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
लेबल
कुण्डली
Labels:
कुण्डली
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें