जुन्ना जुन्ना गोठ ला, खरा सोन तै जान ।
पुरखा के ये साधना, साधे सबो सियान ।।
साधे सबो सियान, जिंनगी अपन उतारे ।
सुख-दुख के सब काम, सबो झन बने सवारे ।।
कह ‘रमेश्ा‘ कवि राय, गोठ सुन मोरे मुन्ना ।
अजमा के तैं देख, गोठ हे सुघ्घर जुन्ना ।।
जेन सहय रे आॅच ला, खाय तेन हर पाॅंच ।
खुल्ला किताब हाथ मा, लेवा कोनो बाॅच ।।
लेवा कोनो बाॅच, जगत के येही सच हे ।
सहे जेन तकलीफ, आज ओही हा गच हे ।।
जीवन एक सवाल, सियाने मन इहां कहय रे ।
उत्तर देथे पोठ, आदमी जेन सहय रे ।।
पुरखा के ये साधना, साधे सबो सियान ।।
साधे सबो सियान, जिंनगी अपन उतारे ।
सुख-दुख के सब काम, सबो झन बने सवारे ।।
कह ‘रमेश्ा‘ कवि राय, गोठ सुन मोरे मुन्ना ।
अजमा के तैं देख, गोठ हे सुघ्घर जुन्ना ।।
जेन सहय रे आॅच ला, खाय तेन हर पाॅंच ।
खुल्ला किताब हाथ मा, लेवा कोनो बाॅच ।।
लेवा कोनो बाॅच, जगत के येही सच हे ।
सहे जेन तकलीफ, आज ओही हा गच हे ।।
जीवन एक सवाल, सियाने मन इहां कहय रे ।
उत्तर देथे पोठ, आदमी जेन सहय रे ।।
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