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अक्तूबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

छत्तीसगढ़ महतारी के गोहार

करय, छत्तीसगढ़ महतारी, आंसू छलकावत गोहार । मोरे लइका मन हा काबर, कइसन लगथव गा बीमार ।। जब्बर छाती तो तोर रहिस, सह लेत रहे घन के मार। घी दूध छकत ले पी-पी के, बासी चटनी खाये झार ।। ओगराय पथरा ले पानी, सुरूज संग तै करे दुलार । रहय कइसनो बोझा भारी, अलगावस जस नार बियार ।। करे कोखरो भले बिगारी, हाथ अपन ना कभू लमाय जांगर पेरे अपन पेट बर, फोकट मा कभू नई खाय । मोरे तो सेवा कर करके, नाचस कूदस मन बहलास । अइसन कोन बिपत आगे, काबर मोला नई बतास ।। मोर धरोहर काबर छोड़े, छोड़े काबर तैं पहिचान । बोरे बासी बट्टी रोटी, दार भात के संग अथान ।। तरिया नदिया पाटे काबर, पाटे काबर तैं खलिहान । हाथ धरे तैं घूमत रहिबे, आही कइसे नवा बिहान ।। काबर दिन भर छुमरत रहिथस, दारू मंद के चक्कर आय । काम बुता ला छोड़-छाड़ के, दूसर पाछू दूम हलाय ।। काल गांव के गौटिया रहे, गरीबहा काबर आज कहाय । तोर दुवारी मा लिखे हवे, दू रूपया के चाउर खाय । खेत खार तो ओतके हवय, फसल घला तै जादा पाय । काय लचारी अइसे आगे, गरीबहा के बांटा खाय ।। गरीबहा बेटा काबर तैं, धुररा माटी ला डरराय । मोरे कोरा खेले खाये, अब काबर

जबर गोहार लगाबो

अपने ला बिसराय, नशा मा जइसे माते । अपन गांव ला छोड़, शहर ला वो तो भाते ।। नषा ओखरे तोड़, चलव झकझोर जगाबो । बनय गांव हा नेक, जबर गोहार लगाबो ।। जागव संगी मोर, पहाती बेरा आगे । जाके थोकिन देख, खेत मा आगी लागे । हरहा हरही झार, खेत ले मार भगाबो । बाचय हमर धान, जबर गोहार लगाबो ।। दोसा इडली छोड़, फरा चैसेला खाबो । पाप सांग अब छोड़, ददरिया करमा गाबो ।। छत्तीसगढ़ीया आन, जगत ला हमन बताबो । अपन देखावत शान, जबर गोहार लगाबो ।।

मानय पति ला प्राण कस....

सती व्रती के देश मा, नारी हमर महान । मानय पति ला प्राण कस, अपने सरबस जान । भादो मा तीजा रहय, कातिक करवा चौथ । होय निरोगी पति हमर, जीत सकय ओ मौत ।। मया करेजा कस करय, बनय मया के खान । मानय पति ला प्राण कस.... ध्यान रखय हर बात के, अपने प्राण लगाय । छोटे बड़े काम मा, अपने हाथ बटाय । घर ला मंदिर ओ करय, गढ़े मया पकवान । मानय पति ला प्राण कस...... पढ़े लिखे के का अरथ, छोड़ दैइ संस्कार । रूढि़वादी सब मान के, टोर दैइ परिवार ।। श्रद्धा अउ विश्वास ले, मिले सबो अरमान । मानय पति ला प्राण कस....

दामाखेड़ा धाम मा...

दामाखेड़ा धाम मा, हे साहेब कबीर । ज्ञानी ध्यानी मन जिहां, बइठे बने फकीर ।। सद्गुरू के वरदान ले, पाये ब्यालिस वंश । पंथ हुजुर साहेब मा, हे सद्गुरू के अंश ।। सत्यनाम साहेब हा, तोड़य जग जंजीर । दामाखेड़ा धाम मा... जानव अपने रूप ला, परे देह ले ठाढ़ । सत्यनाम साहेब वो, बात बने तैं काढ़ ।। बात धरव सब ध्यान से, देह नही जागीर । दामाखेड़ा धाम मा... मीठा अउ मीठास ला, सरगुन निरगुन मान । कोने काखर ले अलग, ध्यान लगा के जान ।। मनखे के घट घट बसय, सत्यनाम बलबीर । दामाखेड़ा धाम मा..

पहिचान हे ये तो हमर

छत्तीसगढ़ दाई धरे, अचरा अपन संस्कार गा। मनखे इहां के हे दयालू, करथे मया सत्कार गा । दिखथे भले सब कंगला, धनवान दिल के झार गा । पहिचान हे ये तो हमर, रखना हवे सम्हार गा ।।

धनी अगोरा तोर हे

कइसे काटव मैं भला, अम्मावस के रात । आंखी बैरी हा कहय, कब होही परभात ।। कतका जुगनू चांदनी, चमकत करे उजास । कुलुप अंधियारी लगय, चंदा बिना अगास ।। सुरता के ओ धुंधरा, बादर बनके छाय । आंखी ले पानी झरे, सावन झड़ी लगाय ।। पैरी बाजय गोड़ के, गरज घुमर के घोर । चम चम बिजली कस करे, माथे बिंदी मोर ।। गरू लगय अपने बदन, गहना ले धंधाय । धनी अगोरा तोर हे, मोरे मन चिल्लाय ।। -रमेश चौहान

चलव जयंती मनाबो

चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के घर कुरिया लिप पोत के, खोर अंगना सजाबो जैतखाम मा सादा झंड़ा, फेरे नवा चढाबो अउ चैका हम कराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के सादा सादा ओढ़ना पहिरे, सादगी ला बगराबो छांझ मांदर हाथ धरे, गुरू के जस ला गाबो अउ पंथी नाच देखाबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के गुरू संदेशा मन मा धरे, सत के अलख जगाबो सत के रद्दा रद्दा रेंग रेंग, सतलोक मा जाबो सतनाम धजा फहराबो, गुरू घासी दास के गुरू घासी दास के ओ संगी गुरू घासी दास के

शिरड़ी के सांई कहय......

शिरड़ी के सांई कहय, सबके मालिक एक । जात धरम काहीं रहय, मनखे होवय नेक ।। सांई दीनानाथ हे, सच्चा संत फकीर । मनखे के सेवा करय, मेटे सबो लकीर ।। अइसन दीनानाथ के, करलव जी अभिशेक । शिरड़ी के सांई कहय...... मनखे के संतान हे, हिन्दू अउ इस्लाम । मनखे के अल्ला खुदा, मनखे के हे राम ।। काबर कोनो फेर तो, डगर खड़े हे छेक । शिरड़ी के सांई कहय.... मनखे के पीरा हरय, सबके सांई नाथ। भूख बिमारी मेट के, सबला करय सनाथ ।। मानव ओखर बात ला, अपने माथा टेक । शिरड़ी के सांई कहय....

शक्ति हमला दे अतका

हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका । छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।। बैरी हे मन मोर, बइठ माथा भरमाथे । डगर झूठ के छांट, हाथ धर के रेंगाथे ।। अइसन करव उपाय, छूट जय ऐखर झटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। सत के रद्दा तोर, परे जस पटपर भुइया । कइसे रेंगंव एक, दिखे ना एको गुइया ।। परे असत के फेर, खात हन हम तो भटका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।। मन मंदिर मा तोर, एक मूरत दे अइसन । जिहां बसे हे झार, असत मन हा तो कइसन ।। मर जावय सब झूठ, पाय मूरत के रचका । हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।

गांव बसे हमरे दिल मा

गांव बसे हमरे दिल मा हम तो लइका अन एखर संगी । गांवन मा सबके ममता मिलथे कुछु बात म होय न तंगी ।। जोतत नागर खेत किसान धरे मुठिया कहिथे त तता जी । खार अऊ परिया बरदी म चरे गरूवा दिखथे बढि़या जी ।।

हर काम हा सरकार के

हर बात के गलती दिखे, जनतंत्र मा सरकार के । अधिकार ला सब जानथे,  अउ मांगथे ललकार के ।। कर्तव्य ला जनता कभू, अपने कहां कब मानथे । हर काम हा सरकार के, अइसे सबो झन जानथे ।। -रमेश चौहान

जय होय भारत देश के

जय होय भारत देश के, जनमे जिहां भगवान हे । धरती ह पावन हे जिहां, मनखे घलो ह महान हे ।। नदियां हवे कतका इहां, नरवा घला मन शान हे । पथरा  घला हमला लगे, जइसे बने भगवान हे ।

मनखे हमी मन आन गा

अपने सही समझे कभू, मनखे बने मनखे सही । अपने च मा कतका रमे, सबला भुलाय रखे तही ।। चिरई घलो करथे बने, अपने च खातिर काम गा । करले कुछु मनखे सही, मनखे हमी मन आन गा ।।

जय बोलव सतनाम के...

जय बोलव सतनाम के, जय जय जय सतनाम । जय हो घासीदास के, जय जय जय जतखाम ।। सतगुरू अउ सतनाम के, करथे जेने जाप । छूट जथे हर बात के, ओखर तो संताप ।। बाबा के सत मा बनय, बिगड़े तोरे काम । जय बोलव सतनाम के... जीवन मा भर सादगी, झूठ लबारी छोड । लोभ मोह के बंधना, तिनका जइसे तोड़ ।। बाबा के आदेश ला, धर के आठो याम । जय बोलव सतनाम के... केवल पूजा पाठ ले, होय नही उद़धार । सत के रद्दा रेंग के, अपने करम सुधार ।। एक करम तो सार हे, करत रहव सत काम । जय बोलव सतनाम के...

गज़लबानी-गहूँ संग कीरा रमजाजथे

गज़लबानी तुकबंदी गहूँ संग कीरा रमजाजथे  गहूँ संग कीरा रमजाजथे । दूध मा पानी बेचाजथे । संगत के अइसन असर नून मा मिरचा खवाजथे । रेंगत रेंगत नेता संग चम्मच हा नेता कहाजथे । बइठे बइठे जुवा मेरा खेत खार बेचाजथे । धनिया लेना कोन जरूरी छुये मा हाथ ममहाजथे । गुलाब फूल टोरत टोरत काटा मा हाथ छेदाजथे । मया कहूं होय निरमल दिल दिल मा समाजथे । बड़े संग मिले बिरोपान छोटे संग नाक कटाजथे । तैं जान तोर काम जाने गोठ गोठ मा गोठ आजथे ।

चल रावण ला मारबो.

चल रावण ला मारबो, खोज खोज के आज । बाच जथे हर साल ओ, आवत हमला लाज ।। पुतला मा होतीस ता, रावण बर जातीस । घेरी घेरी हर बरस, फेर नई आतीस ।। बइठे हे ओ हर कहां, अपन सजाये साज । चल रावण ला मारबो.... कहां कहां हम खोजबो, का ओखर पहिचान । कोन बताही गा भला, कहां छुपाये जान ।। दस मुड़ दस अवगुण हवय, हवय अलग अंदाज । चल रावण ला मारबो... मरे राम के बाण ले, पाय राम ले सीख । जीव जीव मा वास कर, कोनो ला झन दीख ।। तोर मोर घट मा बसे, करत हवे ओ राज । चल रावण ला मारबो... दिखय नही अंतस अपन, हम करि कोन उपाय । पुतला ला अउ मारबो, ओही हमला भाय ।। आवन दे गा हर बरस, बेच खाय हे लाज । चल रावण ला मारबो...

चोर चोर ओ चोर हे

चोर चोर ओ चोर हे, परत हवे गोहार । वाटसाप अउ फेसबुक, ओखर हवे शिकार ।। एक डाड लिख ना सकय, कवि कहाय के साध । पढ़े लिखे वो चोर हा, करत हवे अपराध ।। शारद के परसाद के, करे ओ तिरस्कार । चोर चोर ओ चोर हे... सब अइसन ओ चोर ला, देवव दंड कठोर । खडे रहय बजार मा, ओ हर दांत निपोर ।। संगत ओखर छोड़ दव, मुख ला दै ओ टार । चोर चोर ओ चोर हे.. अतको मा मानय नही, कोरट रद्दा भेज । आखर के दुश्मन हवय, कइसे करि परहेज ।। नो हय हासे के बुता, लेवव काम सवार । चोर चोर ओ चोर हे....

होगे मोरे जीनगी

होगे मोरे जीनगी, कइसन ऊंच पहाड़ । सकला गे सब मास हा, बाचे केवल हाड़ ।। हाथ गोड़ होगे सगा, मोला तो बिसराय । मोरे आंखी मोर ले, आंखी अब चोराय ।। मन बैरी मानय नहीं, खड़े हवे जस ताड़ । होगे मोरे जीनगी... कुरिया खटिया टूटहा, रचे मोर संसार । भड़वा बरतन फूटहा, करिया करिया झार ।। मोर रंग मा रंग के, होगे सबो कबाड़ । होगे मोरे जीनगी.... नवा नवा समान हवे, जुन्ना के का काम । डारे जेला कोनहा, बेटा बहू तमाम ।। दोष कहां कुछु कोखरो, करथे सबो जुगाड । होगे मोरे जीनगी.. आंखी आंखी घूमथे, जुन्ना दिन हा मोर । रूप रंग के मोर तो, होवय कतका शोर ।। मोला देखे काम मा, समा जवय जब जाड़ । होगे मोरे जीनगी.. -रमेश चौहान

दे दाई कुछु खाय

बेटा- बासी दे के भात दे, दे दाई कुछु खाय । सांय सांय जी हा करय, कुछु ना तो भाय ।। दाई-  दाना दाना खोज के, लेहूं भात बनाय । बेटा थोकिन सांस ले, बासी घला सिराय ।। बेटा- ठोमा ठोमा मांग के, ठोमा ना पाऐंव । गे रहेंव आंसू धरे, आंसू धर आऐंव ।। दाई- पानी हे आंसू हमर, पथरा हे भगवान । निरधन के तैं छोकरा, का तोरे हे मान ।। बेटा- भूख प्यास जानय नही, काबर अइसन बात । भर जातीस पेट हमर, दुच्छा देखत जात ।। दाई- गरीबहा बन पाप ला, भोगे भर आयेंन । भूख प्यास के मार ला, खूबे हम खायेंन ।। -रमेश चौहान

मैं विनय करंव कर जोर

मैं विनय करंव कर जोर ओ, मोर मरकी माता, जस गावंव तोर मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा संग मा सेवा बजावंव ओ, सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव फेर नरियर जस तन चढावंव ओ.... लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे जतन करव नोनी के संगी जतन करव रे मोर जतन करव रे ओ.. मोर जतन करव रे मैं नारी दुखयारी अंव नर नारी के जननी महतारी अंव महतारी अंव जतन करव रे...... पेट भीतर काबर कोनो नोनी बाबू जांचे नोनी नोनी ला मारे तैं बाबू बाबू हा बाचे तुहर करेजा बाबू के मैं हर सुवारी अंव जतन करव रे...... आधा दुनिया मोरो हे आधा अबादी कहाय पेट भीतर हमला मार के सृश्टि रचना डोलाय जगत रचना के मैं हर फूलवारी अंव जतन करव रे...... जनम दे के दुनिया मा मोला बेटा कस बढ़ावा दाई ददा के लाठी बनहू महूं ला खूब पढ़ावा ससुरे मइके मा सुख दुख के संगवारी अंव जतन करव रे......

दुनिया मा सतनाम कहाय

लहर लहर सादा झण्ड़ा हा, जैत खाम मा लहराय । हवे सत्य शाश्वत दुनिया मा, दे संदेशा जग बगराय ।। महानदी के पावन तट मा, गिरौदपुरी घाते सुहाय । जिहां बसे महंगु अमरौतिन, सुख मा जीवन अपन बिताय । सतरा सौ छप्पन के बेरा, अठ्ठारा दिसम्बरे भाय। निरधन महंगु के कुरिया मा, सत हा मनखे तन धर आय । चारो कोती मंगल होवय, लोगन मांदर ढोल बजाय । चिरई चिरगुन सब जंगल के, फूदक फूदक खुशी मनाय ।। लइका के मुॅह देख देख के, अपने सुध-बुध सब बिसरत जाय जेने देखय तेने जानय,  मुॅह मा कुछु बोली ना आय । अमरौतिन दाई के कोरा, बालक मंद मंद मुस्काय । ऐही लइका आघू चल के, गुरूजी घासी दास कहाय ।। सोनाखान तीर जंगल मा, घासी हा सत खोजय जाय । खोजत खोजत फेर एक दिन, छाता परवत ऊपर आय।। जिहां बबा बइठे जब आसन, घाते के समाधी लगाय । सत के संग मिले सत हा जब, सत सत सब एके हो जाय ।। सत के जयकारा फेर गुंजे, दुनिया मा सतनाम कहाय । मनखे मनखे सब एक कहे, सात बचन गुरू देत बताय । सत्य धरव सब अंतस भीतर, मारव मत कोनो जीव । मांस मटन खावव मत कोनो, जीव जीव हा होथे सीव ।। चोरी हारी ले दूर रहव, छोड़ जुआ चित्ती के खेल । नशा नाश क

सत्य नाम साहेब

 । कज्जल छंद । बोल सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब देख सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब । दोहा । चलव चलव गुरू के शरण, छोड़ अपन सब एब । एक बार जुरमिल कहव, सत्य नाम साहेब ।।  ।। चौपाई ।। सत के रद्दा, अगम गहिर हे । अगम गहिर हे.. चलय डगर, जेने फकीर हे ।। जेने फकीर हे... पटपर भुंइया, मन भरमावय । मन भरमावय साहेब मन भरमावय. गुरू बिन कोने, पार लगावय । पार लगावय साहेब पार लगावय. । दोहा । जीवन के सब भार ला, गुरू चरणे मा देब । हाथ जोड़ के बोलबो, सत्य नाम साहेब ।।  ।। चौपाई ।। तोर चरण मा, माथ नवाय हन । माथ नवाय हन. तोर दया ले, सब सुख पाये हन । सब सुख पाये हन. मनखे मनखे, एक बताये । एक बताये साहेब एक बताये. रंग खून के, एक दिखाये । एक दिखाये साहेब एक दिखाये । दोहा । घट घट मा भगवान हे, दरस परस कर लेब । कण-कण मा तैं देख ले, सत्य नाम साहेब ।। ।। चौपाई ।। पथ भटके ला, पथ देखाये । पथ देखाये.. जीव जीव ला, एक बताये । एक बताये ... सत के सादा, धजा बनाये । धजा बनाये साहेब धजा बनाये जैत खाम मा, तैं फहराये ।। तैं फहराये साहेब

माने मा पथरा घला

माने मा पथरा घला, बन जाथे भगवान । श्रद्धा अउ विश्वास बिन, ईश्वर हे पाषान ।। दाई के हर ठांव मा, बाजे मांदर ढोल । एक बार मां बोल ले, अपन करेजा खोल ।। मनखे मनखे एक हे, ईश्वर के सब पूत । ऊॅंच नीच मत मान तै, मान मत छुवा छूत ।। बिना गोड़ के रेंगथें, सुन लेथे बिन कान । काम करय बिन हाथ के, बोलय बिना जुबान ।। लकलक लकलक हे करत, परम दिव्य ओ रूप । खप्पर हे अंगार कस, जग जननी भव भूप ।। गाड़ा-गाड़ा जोहार हे, हे जग जननी तोर । तोरे दर मा आय हन, बिनती सुन ले मोर ।। नाश करे बर पाप के, मां काली बन आय । अइसन दाई देख के, लइका सब डरराय ।

जसगीत-दाई नवगढहीन

"अपन अभिव्यक्ति के सुघ्घर मंच"

गढ बिराजे हो मइया

"अपन अभिव्यक्ति के सुघ्घर मंच"

जसगीत

मां आदि शक्ति के नवरात पर्व के अवसर मा मोर रचित देवी गीत मन ला भाई प्रेम पटेल, बिलासपुर हा अपन स्वर मा ढाले हे, छत्तीसगढी के छंद के रचना ला शास्त्रीय गायन के प्रयास आप सब ला समर्पित हे https://drive.google.com/folderview?id=0B_vVk5gISWv3Rk9DNEFPdGtiUXM&usp=sharing

दुनिया मा तैं आय के, माया मा लपटाय

दुनिया मा तैं आय के, माया मा लपटाय । असल व्यपारी हे कहां, नकली के भरमार । कोनो पूछय ना असल, जग के खरीददार ।। असल खजाना छोड़ के, नकली ला तैं भाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... का राखे हे देह के, माटी चोला जान । जाना चोला छोड़ के, झन कर गरब गुमान ।। मोर मोर तैं तो कहे, अपने गाना गाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... कागज के डोंगा बनक, बने देह हा तोर । नदिया के मजधार मा, देही तोला बोर ।। माया रतिया सोय के, सपना मा हरशाय ।। दुनिया मा तैं आय के..... परे विपत मा देख ले, आथे कोने काम ।। छोड़ जगत के आस ला, भज ले सीताराम । मनखे तन ला पाय के, बिरथा झन गंवाय ।। दुनिया मा तैं आय के.....

गढ़बो अपने देश

जुरमिल संगी चलव सब, गढ़बो अपने देश । मनखे हा मनखे रहय, कइसनो होवय वेश ।। देश भक्ति के राग मा, देवत अपने ताल । भारत माता एक हे, हम सब ओखर लाल ।। जाति धरम के रूंधना, टोर-टार के लेश । जुरमिल संगी चलव सब.... हर मंदिर के षंख हा, करय एक जयकार । मस्जिद के अजान घला, करय खूब गोहार । जय जय मइया भारती, जय जय भारत देश । जुरमिल संगी चलव सब.... भात मिलय हर पेट ला, सबो हाथ ला काम । निरधन अउ बनिहार ला, मिलय बरोबर दाम ।। मिलजुल रद्दा खोजबो, झन जावव परदेश । जुरमिल संगी चलव सब... षासन चारा छोड़ के, नेता फांदा टोर । हाथ हाथ सब जोर के, करत नवा अंजोर ।। अपने झगरा मेटबो,  मेटत सबो कलेश । जुरमिल संगी चलव सब

दाई, दाई शक्ति ओ

दाई दाई शक्ति ओ, भगतन करत पुकार । तोरे हमला आसरा, करव हमर उद्धार ।। चांदावन के पार मां, आदि शक्ति के ठांव । भक्त शक्ति दाई कहय, शीतल जेखर छांव ।। जेन दरद ला मेटथे, सुने भगत गोहार । दाई दाई शक्ति ओ.... हवय नवागढ़ खार अउ, मुरता गांवे बीच । महिमा ला बगराय के, भगतन लेवत खीच । लगे रेम हे भक्त के, धरे मनौती झार । दाई दाई शक्ति ओ..... जगमग जगमग जोत करय, जब आये नवरात । ढोलक मादर थाप ले, तोरे जस सब गात ।। नौ दिन अउ नव रात ले, करत तोर जयकार । दाई दाई शक्ति ओ.... दाई सुन के तोर जस, मांगे भगत मुराद । कोनो दौलत मांगते, कोनो मुख संवाद । कोनो मांगे नौकरी, कोनो लइका प्यार । दाई दाई शक्ति ओ... सबके पोछे आसु तैं, अपन गोद बइठाय । हॅसत गात तब तो भगत, अपने द्वारे जाय । जय हो दाई षक्ति के, करत सबो जयकार । दाई दाई शक्ति ओ...

कब लाबे बारात

नायक सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर । संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।। नायिका झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर । चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।। नायक गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर । चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर । नायिका गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह । झूला झूलत मैं कभू,  कहां पायेंव थाह ।। नायक कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर । भीतर  मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।   नायिका बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर । जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर । नायक छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ । जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।। नायिका हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात । आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।

अंखियन के बात हा

मोरे तैं मन मोहनी, आंखी पुतरी मोर। मोरे तैं दिल जोंगनी, मोरे तैं अंजोर ।। सुघ्घर सपना मोर तैं, आंखी काजर मोर । धड़कन दिल के तैं हवस, मोहन कस चित चोर ।। धरे करेजा हाथ मा, जोहत रद्दा तोर । धक धक मोरे दिल करय, सुन पैरी के शोर ।। छुईमुई बानी हवय, धनी चेहरा मोर । देखे के मन लालषा, तोपॅव अचरा छोर ।। लकड़ी मा आगी बरे, आगी जभे लगाय । जोत मया के हे जले, जब हम नजर मिलाय ।। अंखियन के बात हा, सिरतुन गजब सुहाय । नजर परे जब नजर ले, बैरी कोन हटाय ।। बैरी कोनो ना जगत, बैरी तहीं कहाय । लुका-लुका तैं देखथस, जियरा मोर जलाय ।। लोकलाज का जानबे, टूरा बन तैं आय । गहना मोरे लाज के, तोही ला तो भाय ।।

जय जय मइया जग कल्याणी

जय जय मइया आदि भवानी । जय जय मइया जग कल्याणी तोरे भगतन सेवा गावय । आनी बानी रूप सजावय सोलह सिंगार तोर माता । परम दिव्य हे जग विख्याता मनखे भगती अपन देखावय । सुघर रूप ला अउ सुघरावय पांव महुर दे पैजन बांधे । चुटकी बिछिया संगे सांधे कनिहा मा करधन पहिरावय। करधन घुंघरू बाज बजावय ककनी बहुटा हाथ सजाये । लाल चुरी संगे पहिराये लाली लुगरा अउ लाल चुनर । सुतिया पहिरावय माॅं के गर कानन कुण्डल नथली नाके । गाल इत्र चंदन ले ढाके मांघे मोती बिन्दी माथे । फूलन गजरा चुन्दी गाथे । सब सिंगार मा विष्वास भरे । भगतन श्रद्धा ले भेट करे मइया स्वीकार करव सेवा । भगती के दव हमला मेवा

लाल बहादुर लाल हे

लाल बहादुर लाल हे, हमर देष के शान । सीधा-सादा सादगी, जेखर हे पहिचान ।। सैनिक मन के हौसला, जेन बढ़ाये घात । भुईया के भगवान के, करे पोठ जे बात ।। दे नारा जय जवान अउ, जय हो हमर किसान । लाल बहादुर लाल हे.... निर्धनता ला जेन हा, माने ना अभिशाप । मुखिया होके देश के, छोड़े अपने छाप ।। राज धरम के जेन हा, करे खूब सम्मान । लाल बहादुर लाल हे.... खास आम सब ले कहे, मात्र एक संदेश । करव कर्तव्य सब अपन, आवय सबके देश ।। तुहर भरोसा देश हे, जेखर तुहीं मितान । लाल बहादुर लाल हे...

धर गांधी के बात ला

धर गांधी के बात ला, अपने अचरा छोर । सत्य अहिंसा के डहर, रेंगव कोरे कोर ।। दिखय चकाचक गांव हा, अइसे कर तैं काम । दूर करव सब गंदगी, होवय जउन तमाम ।। साफ सफाई होय ना, तन-मन के गा तोर । धर गांधी के बात ला.... मार काट ला छोड़ के, जोत शांति के बार । पर धन नारी देख के, कर झन अत्याचार ।। अपन आचरण कर सुघर, झन तैं दांत निपोर । धर गांधी के बात ला.... गलती दूसर के दिखय, भीतर देखे कोन । मन के दरपन हाथ मा, काबर बइठे मोन ।। सच हा सच होथे सदा, रखे जेन झकझोर । धर गांधी के बात ला... महावरी के पाठ हे, ईसु बढ़ाये मान । बाबा घासी दास हा, करे हवे फरमान ।। राम रहिम के देश मा, सच ईश्वर हे तोर । धर गांधी के बात ला.....

जय मां भवानी आदि माता

जय मां भवानी आदि माता, तैं जगत के रचइया । सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।। कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्‍ा ओ । तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्‍वास ओ । करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ । अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।। सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ । झोली खुश्‍ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।। गोहार सुन अपने भगत के, श्‍ोर मा चढ़ आय ओ । बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्‍ााय ओ ।। मारे धरा के सब दुष्‍ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ । राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।

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