नवा जमाना के चलन, गुटखा पाउच देख।
गली सड़क मा थूक ले, चित्र गढ़े अनलेख ।।
चगल चगल के रात दिन, छेरी कस पगुराय ।
गुटका पाउच खाय के, गली खोर रंगाय ।।
पथरा रंगे थूक ले,घसरे मा ना जाय ।
रंग करेजा मा भरे, अइसन गुटका भाय ।।
पान सुपारी हे कहां, गुटका सबे लमाय ।
फेषन के ये फेर मा, सरहा सरहा खाय ।।
का का के धुररा हवय, काला कोन बताय ।
गुटका के अइसन चलन, सबो बात बिसराय ।।
गली सड़क मा थूक ले, चित्र गढ़े अनलेख ।।
चगल चगल के रात दिन, छेरी कस पगुराय ।
गुटका पाउच खाय के, गली खोर रंगाय ।।
पथरा रंगे थूक ले,घसरे मा ना जाय ।
रंग करेजा मा भरे, अइसन गुटका भाय ।।
पान सुपारी हे कहां, गुटका सबे लमाय ।
फेषन के ये फेर मा, सरहा सरहा खाय ।।
का का के धुररा हवय, काला कोन बताय ।
गुटका के अइसन चलन, सबो बात बिसराय ।।
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