बिरही बिरवा होय, आज फुलवारी जागे ।
मंदिर मंदिर ठांव, हमर घर कुरिया लागे ।
रिगबिग रिगबिग जोत, जवारा झूमे लहराये ।
दाई के ये रूप, जगत ला घात रिझाये ।
नौ दिन नौ रात, करब दाई के सेवा ।
दाई मयारू घात, मांगबो भगती मेवा ।
मादर ढोल बजाय, ताल दे जस ला गाबो ।
झूम झूम के सांट, हाथ मा हमन लगाबो ।।
मंदिर मंदिर ठांव, हमर घर कुरिया लागे ।
रिगबिग रिगबिग जोत, जवारा झूमे लहराये ।
दाई के ये रूप, जगत ला घात रिझाये ।
नौ दिन नौ रात, करब दाई के सेवा ।
दाई मयारू घात, मांगबो भगती मेवा ।
मादर ढोल बजाय, ताल दे जस ला गाबो ।
झूम झूम के सांट, हाथ मा हमन लगाबो ।।
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