छत्तीसगढ़ दाई के, परत हंन पांव ला ।
जेखर लुगरा छोरे, बांटे हे सुख छांव ला ।
पथरा कोइला हीरा, जेन भीतर मा भरे ।
सोंढुर अरपा पैरी, छाती मा अपने धरे ।।
जिहां के रूख राई मा, बनकठ्ठी गढ़े हवे ।
जिहां के पुरवाही मा, मया घात घुरे हवे ।।
अनपढ़ भले लागे, इहां के मनखे सबे ।
फेर दुलार के पोथी, ओखर दिल मा दबे ।।
छत्तीसगढि़या बेटा, भुईंया के किसान हे।
जांगर टोर राखे जे, ओही हमर शान हे ।।
जेखर लुगरा छोरे, बांटे हे सुख छांव ला ।
पथरा कोइला हीरा, जेन भीतर मा भरे ।
सोंढुर अरपा पैरी, छाती मा अपने धरे ।।
जिहां के रूख राई मा, बनकठ्ठी गढ़े हवे ।
जिहां के पुरवाही मा, मया घात घुरे हवे ।।
अनपढ़ भले लागे, इहां के मनखे सबे ।
फेर दुलार के पोथी, ओखर दिल मा दबे ।।
छत्तीसगढि़या बेटा, भुईंया के किसान हे।
जांगर टोर राखे जे, ओही हमर शान हे ।।
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