मनखे केे अपराध, भोगथे मोटर गाड़ी ।
हर थाना मा देख, खड़े हे बने कबाड़ी ।।
मोरो मन अभिलाष, सड़क मा घूमव फर फर ।
मनखे हे आजाद, कैद मा हा हँव काबर ।।
कतका साधन देश के, काबर गा बरबाद हे ।
अंग भंग होके खड़े, खोय अपन मरजाद हे ।।
तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान
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