ले मनखेपन सीख । नोनी देवय भीख
कोनो मरय न भूख । होय न भले रसूख
उघरा के तन ढाक । नंगरा ल झन झाक
भूखाये बर भात । रोवइया बर बात
हमरे देश सिखाय । नोनी सुघर निभाय
देखत बबा अघाय । दूनो हाथ लमाय
देवय बने अशीष । दिल के रहव रहीस
नोनी करय सवाल । काबर अइसन हाल
मांगे काबर भीख । सुनके लागय बीख
बबा हा गुनमुनाय । चेथी ला खजुवाय
का नोनी ल बतांव । कइसे के समझांव
मोरो तो घरद्वार । रहिस एक परिवार
बेटा बहू हमार । हवय बड़ होशियार
पढ़े लिखे जस भेड़ । हे खजूर कस पेड़
ओ बन सकय न छांव । छोड़ रखे अब गांव
न अपन तीर बलाय । न मन मोर बहलाय
जांगर मोर सिराय । कइसे देह कमाय
करथे बवाल पेट । तभे धरे हंव प्लेट
नोनी तैं हर बाढ़ । रखबे बात ल काढ़
जाबे जब ससुरार । धरबे बात हमार
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