गजल
बहर-212, 212, 212
बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।
जिनगी जीये के अधिकार दौ ।।
बेटी होथे बोझा जे कहे,
मन के ये सोचे ला टार दौ ।
दुनिया होथे जेखर गर्भ ले,
अइसन नोनी ला उपहार दौ ।
मन भर के उड़ लय आकाश मा,
ओखर डेना पांखी झार दौ ।
बेटी के बैरी कोने हवे,
पहिचानय अइसन अंगार दौ ।
बैरी मानय मत ससुरार ला
अतका जादा ओला प्यार दौ ।
टोरय मत फइका मरजाद के,
अइसन बेटी ला आधार दौ ।
ताना बाना हर परिवार के,
बाचय अइसन के संस्कार दौ ।
बहर-212, 212, 212
बेटी ला शिक्षा संस्कार दौ ।
जिनगी जीये के अधिकार दौ ।।
बेटी होथे बोझा जे कहे,
मन के ये सोचे ला टार दौ ।
दुनिया होथे जेखर गर्भ ले,
अइसन नोनी ला उपहार दौ ।
मन भर के उड़ लय आकाश मा,
ओखर डेना पांखी झार दौ ।
बेटी के बैरी कोने हवे,
पहिचानय अइसन अंगार दौ ।
बैरी मानय मत ससुरार ला
अतका जादा ओला प्यार दौ ।
टोरय मत फइका मरजाद के,
अइसन बेटी ला आधार दौ ।
ताना बाना हर परिवार के,
बाचय अइसन के संस्कार दौ ।
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