ये बरखा रानी, सुनव कहानी, मोर जुबानी, ध्यान धरे ।
तोरे बिन मनखे, रहय न तनके, खाय न मनके, भूख मरे ।।
बड़ चिंता करथें, सोच म मरथे, देखत जरथे, खेत जरे ।
कइसे के जीबो, काला पीबो, बूंद न एको, तोर परे ।।
थोकिन तो गुनलव, विनती सुनलव, बरसव रद्-रद्, एक घड़ी ।
मानव तुम कहना, फाटे धनहा, खेत खार के, जोड़ कड़ी ।।
तरिया हे सुख्खा, बोर ह दुच्छा, बूंद-बूंद ना, हाथ धरे ।
सुन बरखा दाई, करव सहाई, तोर बिना सब, जीव मरे ।।
तोरे बिन मनखे, रहय न तनके, खाय न मनके, भूख मरे ।।
बड़ चिंता करथें, सोच म मरथे, देखत जरथे, खेत जरे ।
कइसे के जीबो, काला पीबो, बूंद न एको, तोर परे ।।
थोकिन तो गुनलव, विनती सुनलव, बरसव रद्-रद्, एक घड़ी ।
मानव तुम कहना, फाटे धनहा, खेत खार के, जोड़ कड़ी ।।
तरिया हे सुख्खा, बोर ह दुच्छा, बूंद-बूंद ना, हाथ धरे ।
सुन बरखा दाई, करव सहाई, तोर बिना सब, जीव मरे ।।
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