जे चोरी लुका करय, अड़बड़ घात ।
अइसन बैरी ला अब, मारव लात ।।
कतका दिन ले सहिबो, अइसन बात ।
कब तक बिरबिट करिया, रहिही रात ।।
नई भुलाये हन हम, पठान कोट ।
फेर उरी मा कइसे, होगे चोट ।।
बीस मार के बैरी, मरथे एक ।
अब तो बैरी के सब, रद्दा छेक ।
कठपुतली के डोरी, काखर हाथ ।
कोन-कोन देवत हे, उनखर साथ ।।
छोलव चाचव अब तो , कचरा कांद ।
बैरी हा घुसरे हे, जेने मांद ।।
अइसन बैरी ला अब, मारव लात ।।
कतका दिन ले सहिबो, अइसन बात ।
कब तक बिरबिट करिया, रहिही रात ।।
नई भुलाये हन हम, पठान कोट ।
फेर उरी मा कइसे, होगे चोट ।।
बीस मार के बैरी, मरथे एक ।
अब तो बैरी के सब, रद्दा छेक ।
कठपुतली के डोरी, काखर हाथ ।
कोन-कोन देवत हे, उनखर साथ ।।
छोलव चाचव अब तो , कचरा कांद ।
बैरी हा घुसरे हे, जेने मांद ।।
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