मधुमालती छंद
सुन गोठ ला, ये धाम के। पहिचान हे, जे काम के
हम आन के, खाये सुता । धर खांध ला, करथन बुता
छोटे बड़े, देथे मया । सब आदमी, करथे दया
सुख आन के, मन मा धरे । दुख आन के, सब झन भरे
काकी कका, भइया कहे । दाई बबा, सब बर सहे
हर बात ला, सब मानथे । सब नीत ला, भल जानथे
चल खेत मा, हँसिया धरे । हे धान मा, निंदा भरे
दाई कहे, चल बेटवा । मत घूम तै, बन लेठवा
ये देष के, बड़ शान हे । जेखर इहां तो मान हे
जेला कहे, सब गांव हे । जे स्वर्ग ले निक ठांव हे
सुन गोठ ला, ये धाम के। पहिचान हे, जे काम के
हम आन के, खाये सुता । धर खांध ला, करथन बुता
छोटे बड़े, देथे मया । सब आदमी, करथे दया
सुख आन के, मन मा धरे । दुख आन के, सब झन भरे
काकी कका, भइया कहे । दाई बबा, सब बर सहे
हर बात ला, सब मानथे । सब नीत ला, भल जानथे
चल खेत मा, हँसिया धरे । हे धान मा, निंदा भरे
दाई कहे, चल बेटवा । मत घूम तै, बन लेठवा
ये देष के, बड़ शान हे । जेखर इहां तो मान हे
जेला कहे, सब गांव हे । जे स्वर्ग ले निक ठांव हे
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