रूपमाला छंद
पढ़े काबर चार आखर, इहां सोचे कोन ।
डालडा के बने गहना, होय चांदी सोन ।।
पेट पूजा करे भर हे, बने ज्ञानी पोठ ।
सबो पढ़ लिख नई जाने, गाँव के कुछु गोठ ।।
मोर लइका मोर बीबी, मोर ये घर द्वार ।
छोड़ दाई ददा भाई, करे हे अत्याचार ।।
सोंध माटी नई जाने, डगर के चिखला देख ।
पढ़े अइसन दिखे ओला, गांव मा मिन मेख ।
ज्ञान दीया कहाथे जब, कहां हे अंजोर ।
नौकरी बर लगे लाइन, अपन गठरी जोर ।।
पढ़े काबर चार आखर, इहां सोचे कोन ।
डालडा के बने गहना, होय चांदी सोन ।।
पेट पूजा करे भर हे, बने ज्ञानी पोठ ।
सबो पढ़ लिख नई जाने, गाँव के कुछु गोठ ।।
मोर लइका मोर बीबी, मोर ये घर द्वार ।
छोड़ दाई ददा भाई, करे हे अत्याचार ।।
सोंध माटी नई जाने, डगर के चिखला देख ।
पढ़े अइसन दिखे ओला, गांव मा मिन मेख ।
ज्ञान दीया कहाथे जब, कहां हे अंजोर ।
नौकरी बर लगे लाइन, अपन गठरी जोर ।।
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