सीखव सीखव बने सीखव साँव चेत होय ।
आशा पैदा करव खातूहार खेत होय ।।
बदरा बदरा निमारव छाँट बीज भात
पानी बादर सहव संगी नदी रेत होय ।।
आशा पैदा करव खातूहार खेत होय ।।
बदरा बदरा निमारव छाँट बीज भात
पानी बादर सहव संगी नदी रेत होय ।।
-रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी छंद कविता के कोठी ( rkdevendra.blogspot.com) छत्तीसगढ़ी म छंद विधा ल प्रोत्साहित करे बर बनाए गए हे । इहॉं आप मात्रिक छंद दोहा, चौपाई आदि और वार्णिक छंद के संगेसंग गजल, तुकांत अउ अतुकांत कविता पढ़ सकत हंव ।
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