मउत ह
करिया बादर बन
चौबीस घंटा छाये हे
कभू सावन के बादर बन
खेत खार ला हरियावय
फल-फूल अन्न-धन्न उपजाके
जीव-जीव ला सिरजावय
कभू-कभू
गाज बनके
आगी ल बरसाये हे
ओही बादर ला देख
मनखे झूमय नाचय
आगी कस दहकत घाम ले
मनखे-मनखे बाचय
गुस्सा मा
जब बादर फाटय
पर्वत घला बोहाये हे
एक बूँद बरसे न जब बादर
चारो कोती हाहाकार मचे हे
सृष्टि के हर अनमोल रचना
ये चक्कर ले कहां बचे हे
आवत-जावत
करिया बादर
सब ला नाच नचाये हे
करिया बादर बन
चौबीस घंटा छाये हे
कभू सावन के बादर बन
खेत खार ला हरियावय
फल-फूल अन्न-धन्न उपजाके
जीव-जीव ला सिरजावय
कभू-कभू
गाज बनके
आगी ल बरसाये हे
ओही बादर ला देख
मनखे झूमय नाचय
आगी कस दहकत घाम ले
मनखे-मनखे बाचय
गुस्सा मा
जब बादर फाटय
पर्वत घला बोहाये हे
एक बूँद बरसे न जब बादर
चारो कोती हाहाकार मचे हे
सृष्टि के हर अनमोल रचना
ये चक्कर ले कहां बचे हे
आवत-जावत
करिया बादर
सब ला नाच नचाये हे
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