काम ये खेती किसानी, आय पूजा आरती ।
तोर सेवा त्याग ले, होय खुश माँ भारती ।।
टोर जांगर तैं कमा ले, पेट भर दे अब तहीं ।
तैं भुईयां के हवस गा, देव धामी मन सहीं ।। 1।।
तोर ले हे गाँव सुघ्घर, खेत पावन धाम हे ।
तैं हवस गा अन्नदाता, जेन सब के प्राण हे ।।
मत कभू हो शहरिया तैं, कोन कर ही काम ला ।
गोहरावत हे भुईंयां, छोड़ झन ये धाम ला ।।2।।
तोर सेवा त्याग ले, होय खुश माँ भारती ।।
टोर जांगर तैं कमा ले, पेट भर दे अब तहीं ।
तैं भुईयां के हवस गा, देव धामी मन सहीं ।। 1।।
तोर ले हे गाँव सुघ्घर, खेत पावन धाम हे ।
तैं हवस गा अन्नदाता, जेन सब के प्राण हे ।।
मत कभू हो शहरिया तैं, कोन कर ही काम ला ।
गोहरावत हे भुईंयां, छोड़ झन ये धाम ला ।।2।।
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