शोभान-सिंहिका
गाड़ी बने चलावव गा, चारो डहर देख ।
डेरी बाजू रहे रहव, छोड़व मीन-मेख ।।
दारु मंद पीयव मत तुम, हेंडिल धरे हाथ ।
ओवरटेक करव मत गा, तुम कोखरो साथ ।।
जीवन अनमोल हे, येखर समझ मोल ।
हाथ-पाँव तब सड़क थरव, मन मा नाप-तोल ।
फिरना हे अपने घर मा, चारो खूट घूम ।
रद्दा जोहत हे तोरे, लइका करत धूम ।
-रमेश चौहान
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें