रूसे धतुरा के रस
गाँव के हवा म घुरे हे
ओखर माथा फूट गे
बेजाकब्जा के चक्कर मा
येखर खेत-खार बेचागे
दूसर के टक्कर मा
एक-दूसर ल देख-देख
अपने अपन म चुरे हे
एको रेंगान पैठा मा
कुकुर तक नई बइठय
बिलई ल देख-देख
मुसवा कइसन अइठय
पैठा रेंगान सबके
अपने कुरिया म बुड़े हे
गाँव के पंच परमेश्वर
कोंदा-बवुरा भैरा होगे
राजनीति के रंग चढ़े ले
रूख-राई ह घला भोगे
न्याय हे कथा-कहिनी
हकिकत म कहां फुरे हे
गाँव के हवा म घुरे हे
ओखर माथा फूट गे
बेजाकब्जा के चक्कर मा
येखर खेत-खार बेचागे
दूसर के टक्कर मा
एक-दूसर ल देख-देख
अपने अपन म चुरे हे
एको रेंगान पैठा मा
कुकुर तक नई बइठय
बिलई ल देख-देख
मुसवा कइसन अइठय
पैठा रेंगान सबके
अपने कुरिया म बुड़े हे
गाँव के पंच परमेश्वर
कोंदा-बवुरा भैरा होगे
राजनीति के रंग चढ़े ले
रूख-राई ह घला भोगे
न्याय हे कथा-कहिनी
हकिकत म कहां फुरे हे
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