राम कथा मनखे सुनय, धरय नहीं कुछु कान ।
करम राम कस करय नहि, मारत रहिथे शान ।।
राम भरत के सुन कथा, कोने करय बिचार ।
भाई भाई होत हे, धन दौलत बेकार ।।
दान करे हे राम हा, जीते लंका राज ।
बेजा कब्जा के इहाँ, काबर हे सम्राज ।।
गौ माता के उद्धार बर, जनम धरे हे राम ।
चरिया परिया छेक के, मनखे करथे नाम ।।
करम जगत मा सार हे, रामायण के काम ।
करम करत रावण बनव, चाहे बन जौ राम ।
नैतिक शिक्षा बिन पढे, सब शिक्षा बेकार ।
थोर बहुत तो मान ले, मनखे बन संसार ।।
-रमेश चौहान
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