//चौपाई छंद//
बेटी मुड मा मउर पहीरे । सोच धरे हे घात गहीरे
अपने अंतस सोचत जावय । मुँह ले बोली एक न आवय
चल चिरईया नवा बसेरा । अपन करम ला धरे पसेरा
पर ला अब अपने हे करना । मया प्रीत ला ओली भरना
कइसे सपना देखव आँखी । मइके मा बंधे हे पाँखी
रीत जगत के एके हावय । मइके छोड़े ससुरे भावय
मोर भाग हा ओखर हाथ म । जीना मरना जेखर साथ म
दाना-पानी संगे खाबो । अपन खोंधरा हम सिरजाबो
सास-ससुर हा देवी-देवा । मंदिर जइसे करबो सेवा
दूनों हाथ म बजही ताली । नो हय ये हा सपना खाली
धुरी सृष्टि के जेला कहिथे । जेखर बर सब जीथे मरथे
मृत्यु लोक के हम चिरईया । सुख-दुख के केवल सहईया
पर ला अब अपने हे करना । मया प्रीत ला ओली भरना
कइसे सपना देखव आँखी । मइके मा बंधे हे पाँखी
रीत जगत के एके हावय । मइके छोड़े ससुरे भावय
मोर भाग हा ओखर हाथ म । जीना मरना जेखर साथ म
दाना-पानी संगे खाबो । अपन खोंधरा हम सिरजाबो
सास-ससुर हा देवी-देवा । मंदिर जइसे करबो सेवा
दूनों हाथ म बजही ताली । नो हय ये हा सपना खाली
धुरी सृष्टि के जेला कहिथे । जेखर बर सब जीथे मरथे
मृत्यु लोक के हम चिरईया । सुख-दुख के केवल सहईया
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