ये सरकारी चाउर, सरकारी शौचालय
त परे-परे बनगे, कोड़िया-अलाल के ।
जेला देखव कंगला, अपने ल बतावय
गोठ उन्खर लगय, हमला कमाल के ।।
फोकट म पाय बर, ओ ठेकवा देखावय ।
कसेली के दूध घीव, हउला म डार के ।
मन भर छेके हवे, गांव के गली परिया
सड़क म बसे हवय, महल उजार के ।।
त परे-परे बनगे, कोड़िया-अलाल के ।
जेला देखव कंगला, अपने ल बतावय
गोठ उन्खर लगय, हमला कमाल के ।।
फोकट म पाय बर, ओ ठेकवा देखावय ।
कसेली के दूध घीव, हउला म डार के ।
मन भर छेके हवे, गांव के गली परिया
सड़क म बसे हवय, महल उजार के ।।
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