जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम ।
बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।।
मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी ।
उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के पागी ।।
सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्चर के माला ।
मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।
छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी छंद कविता के कोठी ( rkdevendra.blogspot.com) छत्तीसगढ़ी म छंद विधा ल प्रोत्साहित करे बर बनाए गए हे । इहॉं आप मात्रिक छंद दोहा, चौपाई आदि और वार्णिक छंद के संगेसंग गजल, तुकांत अउ अतुकांत कविता पढ़ सकत हंव ।
जड़काला म जाड़ लगे, गरमी म लगे घाम ।
बाढ़े लइका मा लगय, मया प्रीत के खाम ।।
मया प्रीत के खाम, उमर मा लागे आगी ।
उडहरिया गे भाग, छोर अपने घर के पागी ।।
सुनलव कहय रमेश, छोड़ पिक्चर के माला ।
मरजादा ला ओढ़, जवानी के जड़काला ।।
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