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कतका झन देखे हें-

पइसा के पाछू बइहा झन तो होव

पइसे के पाछू कभू, बइहा झन तो होव । चलय हमर परिवार हा, अतका धाने बोव । अतका धाने, बोव सबो झन,  भूख मरी मत । पइसा पाछू, होके बइहा, हम अति करि मत ।। दुनिया ले तो, हमला जाना, नगरा जइसे । आखिर बेरा, काम न आवय, तोरे पइसे ।।

करना चाही

करना चाही सब कहे, करथे के झन देख । नियम-धियम सिद्धांत मा, खोजत हे मिन-मेख ।। खोजत हे मिन-मेख इहां सब, जी चोराये । चलत हवय जब, चंदा-सूरज, सब बंधाये ।। चिरई-चिरगुन, मानत हावे, हाही-माही । सोचत हावे, कहि-कहि मनखे, करना चाही ।

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