अमृतध्वनि-कुण्डलियां कतका दुकला हे परे, दुल्हा मन के आज । पढ़े लिखे बाबू खिरत, आवत मोला लाज ।। आवत मोला, लाज बहुत हे, आज बतावत । दस नोनी मा, एके बाबू, पढ़ इतरावत ।। बाबू मन हा, पढ़े नई हे, नोनी अतका । बाबू मन ला, काम-बुता के, चिंता कतका ।। चिंता कतका आज हे, देखव सोच बिचार । टूरा पढ़ई छोड़थे, बारहवी के पार । बारहवी के पार, पढ़य ना टूरा जादा । पढ़े-लिखे बेगार, आज आधा ले जादा । मन मा अइसे सोच, पढ़य ना बाबू अतका । करथे कुछु भी काम, धरे हे चिंता कतका ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
1 माह पहले