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कतका झन देखे हें-

सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान (आल्‍हा धुन म गौरव गाथा)

सबले पहिली माथ नवावय, हाथ जोर के तोर गणेश । अपन वंश के गौरव गाथा, फेर सुनावत हवय ‘रमेश‘ ।। अपन देश अउ अपन धरम बर, जीना मरना जेखर काम । जब तक सूरज चंदा रहिथे, रहिथे अमर ओखरे नाम ।। पराक्रमी योद्धा बलिदानी, भारत के आखरी सम्राट । पृथ्वीराज अमर हावे जग, ऊँचा राखे अपन ललाट ।। जय हिन्दूपति जय दिल्लीपति, जय हो जय हो पृथ्वीराज । अद्भूत योद्धा तैं भारत के, तोरे ऊँपर सबला नाज ।। स्वाभिमान बर जीना मरना, जाने जेने एके काम । क्षत्रीय वर्ण चौहान कहाये, अग्नी वंशी जेखर नाम ।। आगी जइसे जेठ तिपे जब, अउ रहिस अंधियारी पाख । रहिस द्वादशी के तिथि जब, जनमे बालक पृथ्वीराज ।। कर्पूर देवी दाई जेखर, ददा रहिस सोमेश्वर राय । रहिस घात सुग्घर ओ लइका, सबके मन ला लेवय भाय ।। लइकापन मा शेर हराये, धरे बिना एको हथियार । बघवा जइसे तोरे ताकत, जाने तभे सकल संसार ।। रहे बछर ग्यारा के जब तैं, हाथ ददा के सिर ले जाय । अजमेर राज के ओ गद्दी, नान्हेपन ले तैं सिरजाय ।। अंगपाल दिल्ली के राजा, रिश्ता मा तो नाना तोर । ओखर पाछू दिल्ली गद्दी, अपन हाथ धर करे सजोर ।। एक संघरा दू-दू गद्दी, गढ़ दिल्ली अउ गढ़

सबला देवव संगी काम

कोने ढिंढोरा पिटत हवय, जात पात हा होगे एक । हमर हमर चिल्लावत हावे, कट्टर होके मनखे नेक ।। एक लाभ बर जात बताये, दूसर बर ओ जात लुकाय । बिन पेंदी के लोटा जइसे, ढुलमूल ढुलमुल ढुलगत जाय ।। दू धारी तलवार धरे हे, हमर देश के हर सरकार । जात पात छोड़व कहि कहि के, खुद राखे हे छांट निमार ।। खाना-पीना एके होगे, टूरा-टूरी घला ह एक । काबर ठाड़े हावे भिथिया, जात-पात के अबले झेक । सबले आघू जेन खड़े हे, कइसे पिछड़ा नाम धराय । सब ला जेन दबावत हावे, काबर आजे दलित कहाय ।। जे पाछू मा दबे परे हे, हर मनखे ला रखव सरेख । मनखे मनखे एके होथे, जात पात ला तैं झन देख ।। काम -धाम जेखर मेरा हे, जग मा होथे ओखर नाम । जेन हवे जरूरत के मनखे,  सबला देवव संगी काम ।।

कब तक हम सब झेलत रहिबो

कब तक हम सब झेलत रहिबो, बिखहर सांप गला लपेट । कभू जैष अलकायदा कभू, कभू नवा इस्लामिक स्टेट ।। मार काट करना हे जेखर, धरम करम तो केवल एक । गोला बारूद बंदूक धरे, सबके रसता राखे छेक ।। मनखे मनखे जेती देखय, गोला बारूद देथे फोड़ । अपन जुनुन मा बइहा होके, उधम मचावत हें घनघोर ।। चिख पुकार अउ रोना धोना, मचे हवय गा हाहाकार । बिना मौत कतको मरत हंवय, देखव इन्खर अत्याचार ।। नाम धरम के बदनाम करत, खेले केवल खूनी खेल । मनखे होके राक्षस होगे, मनखेपन ला घुरवा मेल ।।

जागव जागव भारतवासी

जागव जागव भारतवासी, भारत माता करे पुकार । जाल बिछाये बैरी मन हा, मचा रखे हे हाहाकार ।। बोले के कइसन आजादी, मेटे भारत के अभिमान । जगह जगह मा गारी देके, मारत हावय ओमन शान ।। मोला जेने गारी देथे, ओला राखे माथ चढ़ाय मोर तिरंगा जेन धरे हे, ओला काबर मार भगाय मोरे गोदी मोरे लइका, सुसक सुसक के बात बताय बैरी मन हा कइसन चढगे, लइका मन ला घात सताय ।। अपन सोच ला बड़का माने, अउ बैरी ला अपन मितान कबतक तुमन सुते रहिहव रे, आंखी मूंदे गोड़े तान । कबतक तुमन सुनत रहिहव गा, अपन कान मा ठेठा बोज । मोरे लइका मारे जाथे, मोरे कोरा मा तो रोज । कइसन कायर गदहा होके, ढोवत हव दूसर के बोझ । महतारी के अचरा खातिर, बनव जलेबी कस तुम सोझ ।। सांगा बाणा लाठी ले लव, ले लव भाला गोला तोप । अपन देश के रक्षा खातिर, बांध कफन के तैं कंटोप । तोरे पुरखा इहां मरे हे, भारत माता के जय बोल छांट छांट बैरी ला मारव, लिख लाई कस तुमन टटोल ।

जय हो जय हो मइया तोरे

झांझ मंजिरा ढोलक बोले, बोले मांदर हा जयकार । जय हो जय हो मइया तोरे, संग भगत मन करे पुकार । गहद भरे तोरे फुलवरिया, जगमग जगमग चमकत जोत । जब लहराये जोत जंवारा, भगतन नाचे चारो कोत ।। सेऊक गावय भगतन झूमय, ले लेके बाणा अउ साट । बइगा सेवा तोर बजावय, भेट करय वो नीबू काट । हे आदि शक्ति आदि भवानी, कहि भगतन जयकार लगाय । अपन मनौती मन मा राखे, तोर डेहरी माथ नमाय । दुख पीरा ला मोरे हर दौ, हर दौ देश गांव के पीर । कइसन राक्षस फेरे होगे, हमरे मन हा होत अधीर ।।

चार आंतकी के मारे ले

आल्‍हा छंद मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे आय । जीयत जागत रोबोट बने, आका के ओ हुकुम बजाय ।। मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय । जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।। ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय । काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।। चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय । लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।। रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय । पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।। हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय । खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय । चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय । जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।। कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव । नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।। -रमेश चौहान

छत्तीसगढ़ महतारी के गोहार

करय, छत्तीसगढ़ महतारी, आंसू छलकावत गोहार । मोरे लइका मन हा काबर, कइसन लगथव गा बीमार ।। जब्बर छाती तो तोर रहिस, सह लेत रहे घन के मार। घी दूध छकत ले पी-पी के, बासी चटनी खाये झार ।। ओगराय पथरा ले पानी, सुरूज संग तै करे दुलार । रहय कइसनो बोझा भारी, अलगावस जस नार बियार ।। करे कोखरो भले बिगारी, हाथ अपन ना कभू लमाय जांगर पेरे अपन पेट बर, फोकट मा कभू नई खाय । मोरे तो सेवा कर करके, नाचस कूदस मन बहलास । अइसन कोन बिपत आगे, काबर मोला नई बतास ।। मोर धरोहर काबर छोड़े, छोड़े काबर तैं पहिचान । बोरे बासी बट्टी रोटी, दार भात के संग अथान ।। तरिया नदिया पाटे काबर, पाटे काबर तैं खलिहान । हाथ धरे तैं घूमत रहिबे, आही कइसे नवा बिहान ।। काबर दिन भर छुमरत रहिथस, दारू मंद के चक्कर आय । काम बुता ला छोड़-छाड़ के, दूसर पाछू दूम हलाय ।। काल गांव के गौटिया रहे, गरीबहा काबर आज कहाय । तोर दुवारी मा लिखे हवे, दू रूपया के चाउर खाय । खेत खार तो ओतके हवय, फसल घला तै जादा पाय । काय लचारी अइसे आगे, गरीबहा के बांटा खाय ।। गरीबहा बेटा काबर तैं, धुररा माटी ला डरराय । मोरे कोरा खेले खाये, अब काबर

दुनिया मा सतनाम कहाय

लहर लहर सादा झण्ड़ा हा, जैत खाम मा लहराय । हवे सत्य शाश्वत दुनिया मा, दे संदेशा जग बगराय ।। महानदी के पावन तट मा, गिरौदपुरी घाते सुहाय । जिहां बसे महंगु अमरौतिन, सुख मा जीवन अपन बिताय । सतरा सौ छप्पन के बेरा, अठ्ठारा दिसम्बरे भाय। निरधन महंगु के कुरिया मा, सत हा मनखे तन धर आय । चारो कोती मंगल होवय, लोगन मांदर ढोल बजाय । चिरई चिरगुन सब जंगल के, फूदक फूदक खुशी मनाय ।। लइका के मुॅह देख देख के, अपने सुध-बुध सब बिसरत जाय जेने देखय तेने जानय,  मुॅह मा कुछु बोली ना आय । अमरौतिन दाई के कोरा, बालक मंद मंद मुस्काय । ऐही लइका आघू चल के, गुरूजी घासी दास कहाय ।। सोनाखान तीर जंगल मा, घासी हा सत खोजय जाय । खोजत खोजत फेर एक दिन, छाता परवत ऊपर आय।। जिहां बबा बइठे जब आसन, घाते के समाधी लगाय । सत के संग मिले सत हा जब, सत सत सब एके हो जाय ।। सत के जयकारा फेर गुंजे, दुनिया मा सतनाम कहाय । मनखे मनखे सब एक कहे, सात बचन गुरू देत बताय । सत्य धरव सब अंतस भीतर, मारव मत कोनो जीव । मांस मटन खावव मत कोनो, जीव जीव हा होथे सीव ।। चोरी हारी ले दूर रहव, छोड़ जुआ चित्ती के खेल । नशा नाश क

हमला माता लेहु बचाय

जगमग जगमग जोत करत हे, मंदिर मंदिर देवी ठांव । जंगल भीतर पर्वत ऊपर, शहर-शहर अउ जम्मो गांव ।। माता के जयकारा गूंजे, जब छाये जग मा नवरात । धरती नाचे बादर झूमे, रूख राई घाते इतरात ।। लहर लहर जब करे जवारा, सबो देवता माथ नवात । परम शांति अउ सुख ला पावय, जेने ऐखर दरशन पात । अइसन बेरा भगत जान के, मइया के ते द्वारे जात । अपने मन के सबो मनौती, मइया ले सबो गोहरात।। नाना भगतन मइया के हे, नाना रूप अपन देखाय । धरे ढोल मादर कतको मन, दिव्य कथा तोरे तो गाय । बरन बरन के बाजा बाजे, बरन बरन के राग सुनाय ।। कोनो जिभिया बाना छेदे, कोनो छाती जोत मढ़ाय ।। कोनो सुन जस तोरे झूमे, सांटे मांगे हाथ लमाय । झूपत झूपत भगतन नाचे, सुध बुध ला अपने बिसराय ।। श्रद्धा अउ विश्वास धरे सब, मइया मइया करे पुकार । सबो मनौती सबके मइया, पूरा कर करदव उपकार ।। कोरा के हम तोरे लइका, तैं हमरे जग जननी माय । मानवता पथ छोड़ी झन हम, हमला माता लेहु बचाय ।।

जागव जागव अब बस्तरिहा

जागव जागव अब बस्तरिहा, लावव संगी नवा बिहान । तोर छोड़ के कोनो ऊंहा, कर सकय न थोरको निदान ।। तपत हवे तूहरे भरोसा, तू ही मन ला ढाल बनाय । तू ही मन ला मार मार के, तू ही मन ला खूब डराय ।। धरे बम्म अउ गोला बारूद, लूटे तोरे तीर कमान । जंगल मा ओ कब्जा करके, लूटत हे तोरे पहिचान ।। काट-काट विकास के रद्दा, जंगल राखे तोला धांध । देख सकव झन जग हे कइसे, राखे खूंटा तोला बांध ।। अपन आप ला मितान कहिके, तोरे गरदन देथे घोठ । तोरे बर ओ बनाय फांदा, जीभ निकाले करथे गोठ ।। एक-एक तो ग्यारा होथे, देखव तुम सब हाथ मिलाय हो जव लकडी के गठरी कस, गांठ मया के देव लगाय । खोल सरग तक अपने पांखी, उड जावव न फांदा समेत । कब तक तू मन सूते रहिहव, अब तो हो जावव ग सचेत ।। जंगल के तू ही मन राजा, भालू चीता षेर हराय । बैरी सियार मन ला काबर, अब तू मन रहिथव डरराय । दम भर दहाड तै जंगल मा, डारा पाना सुन के झर जाय । सियार सुन के दहाड़ तोरे, जिहां रहय ऊंहे मर जाय ।।

जुझारू बाजा फेर बजांव

बस्तर के मोरे भुंईया, हवय छत्तीसगढ़ के शान । जंगल झाड़ी डोंगरी जिहां, हवे छत्तीसगढ़ के आन ।। बस्तरिहा मन भोला भाला, जइसे गा भोला भगवान । ऊघरा रही करे गुजारा, संकट मा हे इखर परान ।। जब ले इहां नकसली आगे, जागे हे नकसली जमात । छानही म जस भुंजय होरा, मचाय हवंय बड़ उत्पात ।। छोटे  बड़े सबो मनखे के, बोकरा कस करे ग हलाल । सरकार असहाय कस लागे, हाथ मिंज के करे मलाल ।। बैरी अब तो सिर चढ़ नाचे, मचे हवय गा हाहाकार । नेता जवान सबो मरत हे, घात लगा जब करे प्रहार ।। लुका-लुका के इन लड़त हवे, अपन आप बहादुर बताय । फोकट फोकट के मनखे ला, काबर एमन मार गिराय ।। कब तक हम सब देखत रहिबो, टुकुर टुकुर जस ध्यान लगाय । पापी के जर नाश करे बर, कइसे हम सब करी उपाय ।। छाती मा आगी दहकत हे, धनुष बाण अब लौव उठाव । शांति बर अब फेर लड़ना हे, जुझारू बाजा ल फेर बजाव ।।

काटा म जब काटा चुभाबे

काटा म जब काटा चुभाबे, तभे निकलथे काटा पांव । कटे ल अऊ काटे ल परथे, त जल्दी भरते कटे घांव ।। लोहा ह लोहा ला काटथे, तब बनथे लोहा औजार । दुख दुख ला काटही मनखे, ऐखर बर तै रह तइयार ।। जहर काटे बर दे ल परथे, अऊ जहर के थोकिन डोज । गम भुलाय ल पिये ल परथे, गम के पियाला रोज रोज ।। प्रसव पिरा ला जेन ह सहिथे, तीनो लोक ल जाथे जीत । धरती स्वर्ग ले बड़े बनके, बन जाथे महतारी मीत ।। दरद मा दरद नई होय रे, दरद के होथे अपन भाव । दरद सहे म एक मजा होथे, जब दरद म घला होय चाव ।।

मोर दूसर ब्लॉग