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कतका झन देखे हें-

मया के रंग

लुहुर तुहुर मोरे मन होगे,तोरे बर रुझवाये । तोरे मुच मुच हँसना गोरी, मोला गजब सुहाये। बैइही बरन मोला लागे, सुन सुन भाखा तोरे । मया घोरे बोली हा तोरे, चिरे करेजा मोरे । कारी कारी चुन्दी तोरे, बादर बन के छाये । झाकत तोरे मुखड़ा गोरी, मोला बड़ भरमाये । आँखी आँखी म मया बोरे, अँखिया बाण चलाये । घायल हिरणीया मन मोरे, तड़प तड़प मर जाये ।। मोरे मन हा अंतस तोरे, बुड़े मया के दहरा । लहर लहर कतका लहराये, तोर मया के लहरा ।। तोर मया मा मन हा रंगे, जइसे दूध म पानी । तैं हर मोरे मन के राजा, मैं हर तोरे रानी ।।

चमकत रेंगय टूरी

टाॅठ टाॅठ जिन्स पेंट पहिरे, अउ हल हल ले चूरी । बादर कस चुन्दी बगराये, चमकत रेंगय टूरी ।। पुन्नी के चंदा कस मुहरन, गली गली देखाये । अपन देह के रूआब गोरी, डहर डहर बगराये । काजर आंजे आंखी कारी, टूरा मन बर छूरी । बादर कस चुन्दी बगराये, चमकत रेंगय टूरी ।। तन के चुनरी पाछू टांगे, बेग हाथ लटकाये । गली गली हरहिंछा घूमे, कनिहा ला मटकाये । धरे जवानी बरखा आगे, छम छम नाचे मयूरी । बादर कस चुन्दी बगराये, चमकत रेंगय टूरी ।। टाॅठ टाॅठ जिन्स पेंट पहिरे, अउ हल हल ले चूरी । बादर कस चुन्दी बगराये, चमकत रेंगय टूरी ।।

खनक खनक के हाथ मा

खनक खनक के हाथ मा, चूऱी बोले बोल । मोर मया के राज ला, जग मा देवय खोल ।। चूरी मोरे हाथ के, हवय तोर पहिचान । रूप सजाये मोर तो, देवय कतका मान ।। खनर खनर जब बोलथे, जियरा जाथे डोल  ।।खनक खनक के हाथ मा लाली हरियर अउ पियर, रंग रंग के रंग । सबो रंग मा तो दिखय,  केवल तोरे संग ।। तोर संग ला पाय के, हाथ बने बड़ बोल ।। खनक खनक के हाथ मा

मोर जवानी

घेरी घेरी ये ओढ़नी, कइसन सरकत जाय । कोन जनी का होय हे, मोला कुछु ना भाय ।। अपने तन हा गरू लगय, रेंगव जब मैं खोर । जेला देखव तेन हा, देखय आंखी फोर ।। सुन्ना होवय जब गली, रेंगब नई सुहाय । घेरी घेरी ये ओढ़नी सगली भतली खेल हा, लइका मन के खेल । पुतरा पुतरी संग अब, मन हा करे न मेल ।। संगी साथी छूट गे, नान्हे पन बिसराय । घेरी घेरी ये ओढ़नी हिरणी कस मन खोजथे, कूद कूद के घात । कइसन के ममहाय हे, आये समझ न बात ।। मोर जवानी आज तो, कस्तूरी बन आय । घेरी घेरी ये ओढ़नी

जब ले तोला पांय हव

जब ले तोला पांय हव, मया मरम जानेंव । जस जस बेरा हा बितय, अंतस मा लानेंव ।। काल परी कस तै रहे, आज घला हस हूर । दमक रहय तब चेहरा, आज घला हे नूर ।। हाड़ मास के का रखे, आत्मा ला जानेंव । जब ले तोला पांय हव सुख के संगी सब रहिन, दुख मा तैं अकेल । छोड़े जब संसार हा, तैं हर रखे सकेल ।। मया देह ले होय ना, आज बने जानेंव ।। जब ले तोला पांय हव एक दुसर बर हम हवन, जोर सांस के डोर । तोर जीनगी मोर हे, मोर जीनगी तोर । सातो फेरा के मरम, मैं हर पहिचानेंव । जब ले तोला पांय हव

धनी मया हा तोर

तन मन मा तो छाय हे, धनी मया हा तोर । मोर हाल ला देख के, मचे गांव मा शोर ।। महर महर करथे मया, चारो कोती छाय  । मोरे मन के हाल हा, छूपय नही छुपाय।। तोर मया बिन रात हे, होत नई हे भोर । तन मन मा ... आंखी खोजे रात दिन, चारो डहर निहार । मन फंसे आठो पहर, तोरे करत बिचार ।। निंद भूख लागय नही, आथे सपना घोर । तन मन मा ... ये दुनिया के बंधना, लागे हे जंजीर । तोर बिना बेकार हे, जिनगी मोरे हीर ।। तोर मया के छांव बर, रेंगव कोरे कोर । तन मन मा ...

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