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कतका झन देखे हें-

जस चश्मा के रंग होय

जस चश्मा के रंग होय । तइसे मनखे दंग होय भाटा कइसे हवय लाल । पड़े सोच मा खेमलाल चश्मा ला मन मा चढ़ाय । जग ला देखय हड़बड़ाय करिया करिया हवय झार । ओ हा कहय मन ला मार अपन सोच ले दुनिया देख । मनखे जग के करे लेख तोर मोर हे एक रंग । कहिथे जब तक रहय संग दुनिया हा तो हवय एक । दिखथे घिनहा कभू नेक दुनिया के हे अपन हाल । तोरे मन के अपन चाल दस अँगरी हे तोर हाथ । छोटे बड़े हवे एक साथ मुठ्ठी बनके रहय संग । काबर होथव तुमन तंग

कंचन काया हवय तोर

कंचन काया हवय  तोर । लजागे चंदा सुन सोर । कतका सुघ्घर तोर गोठ । सुन कोयल करे मन छोट । चुन्दी कारी तोर देख । घटा बादर होगे पेख ।         पेख -पेखन - खिलौना पारे पाटी बने मांग । पाछू फूल गजरा टांग । मांगमोती आघू ओर । सुरूज जस चमके खोर । माथा टिकली गोल गोल । समा गे जम्मा भूगोल । नाक नथनी झुमका कान । आंखी तोर तीर कमान । ओट तोरे फूल गुलाब । दे गोइ अनमोल खिताब । सुराही गर्दन श्रृंगार । पहिरे तै सोनहा हार । लाली लुगरा डारे खांध । कनिहा म करधनिया बांध । रून झुन करे साटी गोड़ । सुन देखय सब मुह ल मोड़ । तोरे सोलहो सिंगार । मुरदा देही जीव डार । मेनका उर्वशी सबो फेल । हवय रूप मा जादू खेल । फर्सुत म विधाता गढ़े । देखे बर देवता ह खड़े । मोला तै कनेखी देख । मया कर हू मै अनलेख । देख तोर एक मुस्कान । दे दू हूं गोइ अपन जान ।

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