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संदेश

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कतका झन देखे हें-

अरे पुरवाही, ले जा मोरो संदेश

अरे पुरवाही, ले जा मोरो संदेश धनी मोरो बइठे, काबर परदेश अरे पुरवा…ही मोर मन के मया, बांध अपन डोर छोड़ देबे ओखरे , अचरा के छोर सुरुर-सुरुर मया, देवय सुरता के ठेस अरे पुरवा…ही जोहत हंवव रद्दा, अपन आँखी गाढ़े आँखी के पुतरी, ओखर मूरत माढ़े जा-जा रे पुरवाही, धर के मोरे भेस अरे पुरवा…ही मोरे काया इहां, उहां हे परान अरे पुरवाही, होजा मोरे मितान देवा दे ओला, आये बर तेश अरे पुरवा…ही -रमेश चौहान

मया कोखरो झन रूठय

कइसन जग मा रीत बनाये, प्रेम डोर मा सब बंधाये । मिलन संग मा बिछुडन जग मा, फेरे काबर राम बनाये ।। छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय,  हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय लोरिक-चंदा हीरे-रांझा,  प्रेम जहर ला मन भर पीये । मरय मया मा दूनों प्रेमी,  अपन मया बर जिनगी जीये ।। छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय,  हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय काया बर तो हृदय बनाये, जेमा तो मया जगाये । फेरे काबर रामा तैं हा, आगी काबर येमा लगाये । छुटे प्राण ये भले देह ले, हो .......... 2 मया कोखरो झन छूटय, कभू करेजा झन टूटय जग बैरी चाहे हो जावय,  हो.........2 मया कोखरो झन रूठय भाग कोखरो झन फूटय

सपना मा आवत हे रे

//गीत// टूरा- खुल्ला चुन्दीवाली टूरी, सपना मा आवत हे रे । मोरै तन मन के बादर मा, बदरी बन छावत हे रे ।। टूरी- लंबा चुन्दी वाले टूरा, सपना मा आवत हे रे । मोरे तन मन के बदरी मा, बादर बन छावत हे रे ।। टूरा- चढ़े खोंजरारी चुन्दी हा, माथा मा जब-जब ओखर । घेरी-बेरी हाथ हटाये, लगे चेहरा तब चोखर । झमझम बिजली चमकय जइसे, चुन्दी चमकावत हे रे । खुल्ला चुन्दीवाली टूरी, सपना मा आवत हे रे । .टूरी- फुरुर-फुरुर पुरवाही जइसे, झुलुप केस हा बोहावय । जेने देखय अइसन बैरी, ओखर बर तो मोहावय । चिक्कन-चांदन गाल गुलाबी, घात नशा बगरावत हे रे । लंबा चुन्दी वाले टूरा, सपना मा आवत हे रे । टूरा- खुल्ला चुन्दीवाली टूरी, सपना मा आवत हे रे । मोरै तन मन के बादर मा, बदरी बन छावत हे रे ।। टूरी- लंबा चुन्दी वाले टूरा, सपना मा आवत हे रे । मोरे तन मन के बदरी मा, बादर बन छावत हे रे ।।

ये राजा मोरे

//गीत// (नायिका बर एकल गीत)  नायक वर्णन ये राजा मोरे, आँखी के तोरे, करिया-करिया काजर । लागत हे मोला, आँखी मा तोरे, हवय मया के सागर ।। आँखी-आँखी के, ये वोली बतरस, लागय गुरतुर आगर ।। एक कान के, सुग्घर बाली, अउ अँगठा के छल्ला । जब-जब तोला, देखँव राजा, होथे मन मा हल्ला ।। तोरे दाढ़ी के, ये करिया चुन्दी, लागय जइसे बादर । ये राजा मोरे, तोरे आँखी के, करिया-करिया काजर ।। आधा बाही, वाले कुरता, तोला अब्बड़ सोहे । खुल्ला-खुल्ला, तोर भुजा ये, मोला अब्बड़ मोहे ।। दूनों बाँह के, तोरे गोदना, मोला जलाय काबर । ये राजा मोरे, तोरे आँखी के, करिया-करिया काजर ।।

पइसा (जोगी रा-सा-ररा-रा)

जोगी रा सा रा रा जोगी रा सा रा रा पइसा पूजा पाठ कहाथे, पइसा हा भगवान । पइसा हरियर-हरियर चारा, चरत हवय इंसान ।।जोगी रा सा रा रा पइसा ले डौकी लइका हे, पइसा ले परिवार । पइसे ले दुनिया हे तोरे, पइसा बिन बेकार ।।जोगी रा सा रा रा मइल हाथ के पइसा होथे, कहि-कहि मरय सियान । बात समझ ना पाइस लइका, मारत रहिगे शान ।।जोगी रा सा रा रा कान-बुता मा घोर पसीना, पइसा आही हाथ । करे करम के पूजा-पाठे, मिलय भाग्य के साथ ।।जोगी रा सा रा रा फोकट मा सरकार बांटथे, अपन करे बर नाम । लूट छूट के रीत छोड़ दे, हमला चाही काम ।।जोगी रा सा रा रा

करेजा मा महुवा पागे मोर (युगल गीत)

मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । चंदा देख देख लुकावत हे, छोटे बड़े मुॅह बनावत हे, एकसस्सू दमकत, एकसस्सू दमकत, गोरी चेहरा तोर ।। करेजा मा महुवा पागे मोर     बनवारी कस रिझावत हे     मन ले मन ला चोरावत हे,     घातेच मोहत, घातेच मोहत,     सावरिया सूरत तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मारत हे हिलोर जस लहरा सागर कस कइसन गहरा सिरतुन मा, सिरतुन मा,   अंतस मया गोरी तोर ।।  करेजा मा महुवा पागे मोर     छाय हवय कस बदरा     आंखी समाय जस कजरा     मोरे मन मा, मोरे मन मा     जादू मया तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । -रमेशकुमार सिंह चैहान

मोर छत्तीसगढ़ के कोरा

सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा । दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।।     मैं कहिथंव ये मोर महतारी ऐ     बड़ मयारू बड़ दुलौरिन     मोर बिपत के संगवारी ऐ     सहूंहे दाई कस पालय पोसय     जेखर मैं तो सरवन कस छोरा संझा बिहनिया माथा नवांव ऐही देवी देवता मोरे दानी हे बर दानी हे,दाई के अचरा के छोरे ।।     मोर छत्तीसगढ़ी भाखा बोली     मन के बोली हिरदय के भाखा     हर बात म हसी ठिठोली     बड़ गुरतुर बड़ मिठास     घुरे जइसे सक्कर के बोरा कोइला अऊ हीरा ला, दाई ढाके हे अपन अचरा बनकठ्ठी दवई अड़बड़, ऐखर गोदी कांदी कचरा     अन्नपूर्णा के मूरत ये हा     धन धान्य बरसावय     श्रमवीर के माता जे हा     लइकामन ल सिरजावय     फिरे ओ तो कछोरा सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा । दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

बाबू के ददा हा , दरूहा होगे ना (गीत)

गीत बोली ओखर तो, करूहा होगे ओ बाबू के ददा हा , दरूहा होगे ना । मोरे ओ मयारू, रहिस अड़बड़ ...... पी अई के तो मारे, बइसुरहा होगे ना । रूसे कस डारा, डोलत रहिथे....... बाका ओ जवान, धक धकहा होगे ना । फोकट के गारी, अऊ फोकट के मार......... जीयवं कइसे गोई, धनी झगरहा होगे ना । पिलवा पिलवा लइका, मरवं कइसे........ जीनगी हा मोरे, अब अधमरहा होगे ना । -रमेशकुमार सिंह चौहान

अब मान जा ना रे जोही

रतिहा के गुसीआएं, अब ले बोलत नई अस । अब मान जा ना रे जोही, मोर जीयरा जरय। अब मान जा... कोयली कस बोली, तोर हसी अऊ ठिठोली, सुने बर रे पिरोहील, मोर मनुवा तरसय । अब मान जा... चंदा बरन तोर रूप, राहू कस गुस्सा घूप, लगाय हे रे ग्रहण, अंधियार अस लागय । अब मान जा... तोर गोरी गोरी गाल, गुस्सा म होगे ह लाल, तोर गुस्सा  ह रे बैरी, आगी कस बरय । अब मान जा... होही गलती मोर, मै कान धरव तोर मया बर रे संगी, मै घेरी घेरी मरव । अब मान जा... ............................... .रमेश

-ः मोर छत्तीसगढ के सुघ्घर गांव:ः-

जिहां चिरई-चिरगुन करे चांव-चांव, जिहां कऊंवा मन करें कांव-कांव । जिहां कोलिहा-कुकुर मन करे हांव-हांव, ऊंहें बस्ते मोर छत्तीसगढ के सुघ्घर गांव । गाय बछरू कुकरा कुकरी अऊ छेरी पठरू, घर घर नरियावय मिमीयावय कुकरू कू कुकरू । दूध दूहे बर बइठे पहटिया दोहनी धरे उघरू, गाय चाटय पूछी उठाय दूघ पियत हे बछरू । बारी बखरी म बंधय कोनो रूखवा के छांव, ऊंहें बस्ते मोर छत्तीसगढ के सुघ्घर गांव । बाबूमन खेलय बाटी ईब्बा, नोनी मन खेलय फुग्गडी, कोनो खेलय तास चैसर त कोनो करय चारी-चुगली । पनिहारिन म करय हंसी ठिठोली मुडी म बोहें गगरी , जिहां के घर संग भावय परछी अंगना म लहरावय तुलसी । जिहां तुलसी के कतका मान , जेखर कतका सुघ्घर छांव, ऊंहें बस्ते मोर छत्तीसगढ के सुघ्घर गांव । गोरसी धरे बईठे बबा नातीमन ल धरे बुढ़ही दाई, नागर जोते ल गे हे ददा कांदी लुये बर दाई । चैपाल म बईठे पंच पटइल अऊ गौटिया, संग म बईठे पंडित बाबू जेखर हे चुटिया । गौतरिहा मन बैईठे सुघ्धर आमा के छांव, ऊंहें बस्ते मोर छत्तीसगढ के सुघ्घर गांव । मया म गावय करमा ददरिया, लइका होंय  म गावय सोहर, बिहाव म गावय भडौनी गीत, संग छोडवनी

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