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कतका झन देखे हें-

बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज बैरी कस खड़े

बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज बैरी कस खड़े । देश द्रोही साथ धर के, आज बैरी कस लड़े।। देश सबले तो बड़े हे, थोरको तैं नइ पढ़े । ज्ञान सब बेकार होथे, देश जेने ना गढ़े ।। बुद्धिजीवी ज्ञान तोरे, आज अपने पास धर । ज्ञान अपने हाथ धर के, सोच अपने सोझ कर ।। उग्रवादी तोर भाई, देशप्रेमी शत्रु हे । लाज घर के बेच खाये, कोन तोरे शत्रु हे ।। -रमेश चौहान

दारु भठ्ठी बंद कर दे

गाँव होवय के शहर मा, एक सबके चाल हे ।। रोज दरूहा के गदर मा, आदमी बेहाल हे ।। हे मचे झगरा लड़ाई, गाँव घर परिवार मा ।। रोज के परिवार टूटय, दारू के ये मार मा ।। रात दिन सब एक हावे,, देख दरूहा हर गली । हे बतंगड़ हर गली मा, कोन रद्दा हम चली । जुर्म दुर्घटना घटे हे, आज जतका गाँव मा । देख आँखी खोल के तैं, होय दरूहा दाँव मा ।। सोच ले सरकार अब तैं, दारू के ये काम हे । आदमी बेहाल जेमा, दाग तोरे नाम हे ।। दारू भठ्ठी बंद कर दे, टेक्स अंते जोड़ दे । पाप के हे ये कमाई,  ये कमाई छोड़ दे । आदमी के सरकार तैं हा, आदमी खुद मान ले । आदमी ला आदमी रख, आदमी ला जान ले ।। काम अइसे तोर होवय, आदमी बर आदमी । आदमी के कर भलाई, हस तभे तैं आदमी ।। -रमेश चौहान

काम ये खेती किसानी आय पूजा आरती

   काम ये खेती किसानी, आय पूजा आरती ।     तोर सेवा त्याग ले, होय खुश माँ भारती ।।     टोर जांगर तैं कमा ले, पेट भर दे अब तहीं ।     तैं भुईयां के हवस गा, देव धामी मन सहीं ।। 1।।     तोर ले हे गाँव सुघ्घर, खेत पावन धाम हे ।     तैं हवस गा अन्नदाता, जेन सब के प्राण हे ।।     मत कभू हो शहरिया तैं, कोन कर ही काम ला ।     गोहरावत हे भुईंयां, छोड़ झन ये धाम ला ।।2।।   

अंधियारी मेट दे

(गीतिका छंद) ठान ले मन मा अपन तैं, जीतबे हर हाल मा । जोश भर के नाम लिख दे, काल के तैं गाल मा । नून बासी मा घुरे कस, दुख खुशी ला फेट दे । एक दीया बार के तै, अंधियारी मेट दे ।

भोमरा मा जर मरय

घाट सुन्ना बाट सुन्ना, खार सुन्ना गांव मा । झांझ झोला झेल झर झर, छांव मिलय न छांव मा ।। गाय गरूवा होय मछरी, रोय तड़पत पार मा । आदमी बेहाल होगे, घाम के ये मार मा ।। बूॅंद भर पानी नई हे, बोर नल सुख्खा परे । ओ कुॅआ अउ बावली हा, का पता कबके मरे । छोड़ मनखे गोठ तैं हर,जीव जोनी ले तरय । पेड़ रूख के जर घला हा, भोमरा मा जर मरय ।

छेरछेरा

गीतिका छंद छेरछेरा के परब हे, धान कोदो हेर दौ । अन्न देके अन्न पाबे, छेरछेरा मान लौ ।। मान होथे दान दे ले, दान ले हे मान गा । होय ना उन्ना कभू गा, तोर कोठी जान गा ।।

देश बर हम तो जियन

ये हमर तो देश संगी, घात सुघ्घर ठांव हे । हे हिमालय हा मुकुट कस, धोय सागर पांव हे । फूल बगिया के बने हे, वेष भाषा सब धरम । एक गठरी कस हवन हम, ये हमर आवय मरम ।। देश गांधी के पुजारी, हे अराधक शांति के । बोस नेताजी कहाथे, देवता नव क्रांति के ।। हे भगत शेखर सरीखे, वीर बलिदानी हमर । जूझ के होगे समर मा, जेन मन हा तो अमर ।। खून कतका के गिरे हे, देश के पावन चरण । तब मिले हे मुक्ति हमला, आज ओखर याद करन ।। सोच ऊखर होय पूरा, काम अइसन हम करन । भेट होही गा बड़े ये, देश बर हम तो जियन ।।

हे महामाई दया कर

1.    हे महामाई दया कर, हम नवावन माथ ला ।     तोर दर मा हम पड़े हन, छोड़ बे झन साथ ला ।।     तोर जश सब भक्त गावन,  ढोल मादर थाम मा ।     जीभ बाणा ले रखे हन  सांट लेवन हाथ मा ।।1।।     हे जवांरा जोत दाई, रूप तोरे विश्वास मा ।    जाप श्रद्धा ले करे हन, नाम तोरे सास मा ।।     भाग मा जतका भरे हे, मेट दे संताप ला ।     शक्ति अतका दे न दाई, छोड़ दी हम पाप ला ।।2।।

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