सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

झूलना छंद लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

बड़का बड़े, ये देश

हर जात ले, हर धर्म ले, आघू खड़े, ये देश । हे मोर ले, अउ तोर ले, बड़का बड़े, ये देश ।। सम्मान कर, अभिमान कर, तैं भुला के, खुद क्लेष । ये मान ले, अउ जान ले, हे तोर तो, ये देश ।। विरोध करव, सरकार के, जनतंत्र मा, हे छूट । पर देश के, तै शत्रु बन, सम्मान ला, झन लूट ।। पहिचान हे, अभिमान हे, हमर सैनिक, हे वीर । अपन धरती, अउ देश बर, डटे रहिथे, धर धीर ।। -रमेश चौहान

मोर दूसर ब्लॉग