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कतका झन देखे हें-

कोरोना आये, चेत हराये

सुन रे भोला

बनव-बनव मनखे, सबझन तनके, माटी कस सनके, बाँह धरे । खुद ला पहिचानव, खुद ला मानव, खुद ला सानव, एक करे ।। ईश्वर के जाये, ये तन पाये, तभो भुलाये, फेर परे । तैं अलग मानथस, खुद ल जानथस, घात तानथस, अलग खड़े ।। आघू पढ़व

जल्दी उठ ले

मुँहझुंझुल उठ ले,  जल्दी पुट ले,  खटिया छोड़े,  खुशी धरे । हे अनमोल दवा, सुबे  के हवा, पाबे फोकट, बाँह भरे ।। रेंग कोस भर गा, छोड़व डर गा, रहिही तबियत, तोर बने । डाॅक्टर के चक्कर, करथे फक्कड़, पइसा-कौड़ी, लेत हने ।। काबर रतिहा ले, तैं बतिया ले, सुते न जल्दी, लेट  करे । मोबाइल धर के, गाड़ा भर के, फोकट-फोकट, चेट करे ।। जे जल्दी सुतही, जल्दी उठही, पक्का मानव, बात खरा । जाने हे जम्मा, तभो निकम्मा, काबर रहिथे, गोठ ढरा ।। हे नवा जमाना, नवा बहाना, गोठ नवा भर, इहां हवे । हे धरती जुन्ना, बाते गुन्ना, जेखर ले तो, देह हवे ।। माटी मा माटी, बनके साथी, जेने रहिथे,  स्वस्थ हवे। करथे हैरानी, धरे जवानी, अइसन मनखे, बने हवे ।। -रमेश चौहान

ये बरखा रानी विनती सुनलव

ये बरखा रानी, सुनव कहानी, मोर जुबानी, ध्यान धरे । तोरे बिन मनखे, रहय न तनके, खाय न मनके, भूख मरे ।। बड़ चिंता करथें, सोच म मरथे, देखत जरथे, खेत जरे । कइसे के जीबो, काला पीबो, बूंद न एको, तोर परे ।। थोकिन तो गुनलव, विनती सुनलव, बरसव रद्-रद्, एक घड़ी । मानव तुम कहना, फाटे धनहा, खेत खार के, जोड़ कड़ी ।। तरिया हे सुख्खा, बोर ह दुच्छा, बूंद-बूंद ना, हाथ धरे । सुन बरखा दाई, करव सहाई, तोर बिना सब, जीव मरे ।।

भौजी

ये सुक्सा भाजी, खाहव काजी, पूछय भौजी, साग धरे  । ओ रांधत जेवन, खेवन-खेवन, डारत फोरन, मात करे ।। ओखर तो रांधे, सबो ल बांधे, मया म फांदे, जोर मया । जब दाई खावय, हाँस बतावय, बहुत सुहावय, देत दया ।

सुन रे भोला

ये मनखे चोला, सुन रे भोला, मरकी जइसे, फूट जथे । ये दुनियादारी, चार दुवारी, परे परे तो, छूट जथे ।। मनखेपन छोड़े, मुँह ला मोड़े, सबो आदमी, ठाँड़ खड़े । अपने ला माने, छाती ताने, मारत शाने, दांव लड़े ।।

देख महंगाई

ये चाउर आटा, भाजी भाटा, आही कइसे, दू पइसा । देखव महँगाई, बड़ करलाई, मनखे होगे, जस भइसा ।। वो दिन अउ राते, काम म माते, बस पइसा के, चक्कर मा । माथा ला फोरे, जांगर टोरे, अपन पेट के, टक्कर मा ।

अइसन बैरी ला झारव

त्रिभंगी छंद, कुछ संगी बहके, अड़बड़ चहके, बाचा बैरी के माने । चढ़े जेन डारा, धर के आरा, काटत हे छाती ताने ।। हे आघू बैरी, पाछू बैरी, दूनो झन ला, तुम मारव । तुम अपन देश बर, अपन टेश बर, अइसन बैरी ला झारव ।।

जय हिन्द बोल, हरषावव

झंड़ा लहरावव, जनमन गावव, गणतंत्र परब, हे मान बने।  घर कुरिया झारव, दीया बारव, देवारी जस, मगन बने ।।  हिन्दू ईसाई, मुस्लिम भाई, जय हिन्द बोल, बोल  बने । हे पावन माटी, अउ परिपाटी,  जुरमिल देखा, जग ल बने ।।

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