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कतका झन देखे हें-

कइसे जी भगवान

जर भुंजा गे खेत मा, बोये हमरे धान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। तरसत हन हम बूंद बर, धरती गे हे सूख । बरस आय ये तीसरा, पीयासे हे रूख ।। ठोम्हा भर पानी नही, कइसे रखब परान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। खेत-खार पटपर परे, फूटे हवय दरार । नदिया तरिया नल कुँवा, सुख्खा हावे झार ।। हउला बाल्टी डेचकी, मूंदे आँखी कान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।। बादर होगे दोगला, मनखे जइसे आज । चीं-ची चिरई मन कहय, पापी मन के राज ।। मनखे हावय लालची, बेजाकब्जा तान । तन लेसागे हे हमर, कइसे जी भगवान ।।

लगत जेठ कस चइत हा

लगत जेठ कस चइत हा, कइसन घाम जनाय । अइसे कइसे होत हे, कोने आज बताय ।। बड़े बिहनिया देख तो, हे चर चर ले घाम । गरम गरम लागे हवा, कइसे करबो काम । हवय काम कोठार मा, बैरी घाम सताय ।। लगत जेठ कस चइत हा... तरिया नरवा अउ कुॅवा, बइठे हे बिन काम । बंद होत हे बोर हा, छोड़े अपने नाम ।। चिरई चिरगुन चीं चीं करत, पानी बर चिल्लाय ।। लगत जेठ कस चइत हा.... मनखे मनखे सोच लव, काबर पीरा झार । बेजा कब्जा मा फसे, तरिया नरवा पार । काट काट के पेड़ ला, अपने खेत बढ़ाय । लगत जेठ कस चइत हा... लालच मा मनखे फसे, रोके नदिया धार । अपने घर के गंदगी, तरिया नरवा डार ।। छेदे धरती के पेट ला, मनखे नई अघाय । लगत जेठ कस चइत हा...

बैरी कोने देश के, कोने हवय मितान

बैरी कोने देश के, कोने हवय मितान । देखव आंखी खोल के, मनखे के पहिचान । अपने कुरिया अपन हे, पर के हा बेकार । बासी चटनी चाट लव, झन बोहावव लार ।। मुसवा बन के छेद मत, अपने कोठी धान । बैरी कोने देश के.... भड़वा बरतन चार ठन, करे भले हे शोर । टोरव फोरय ना कभू, कोनो एको कोर ।। सासर कप रहिथे जुड़े, राखे अपने मान । बैरी कोने देश के.... कुरिया सोहे रेंगान मा, अॅगना चारो खूट । जुरमिल गांव बनाय हे, ऐमा होय न फूट । कहे कहां परछी कभू, तैं आने मैं आन । बैरी कोने देश के.... गड़ गे काॅटा पाॅव मा, हेर निकालव फेंक । परे पाॅव मा घाव हे, नून लगा के सेंक ।। अभी सहीलव पीर ला, अपने गोड़े जान । बैरी कोने देश के....

हासत हे भगवान

//हासत हे भगवान // {दोहा गीत} अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान  । जेखर मन मा आन हे, अउ बाहिर मा आन ।। साजे बाना साधु के, राज महल बनवाय । चेला चाटी जोर के, पूजा अपन कराय ।। बनके खुद भगवान ओ, बइठे खुरसी तान । अइसन मनखे देख के, मुच मुच हासय भगवान । कहिथे भर नेता मनन, मैं जनता के दास । सब सुख ला खुद भोगथे, जनता रहय उदास ।। नेता बनके आदमी, मूॅंदे आॅखी कान । अइसन मनखे देख के,हासत हे भगवान  । विद्या मंदिर खोल के, धंधा अपन चलाय । ज्ञान नीति ला छोड़ के, बाकी सबो पढ़ाय ।। मनखे कोनो ना गढ़य, गढ़थे सब विज्ञान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान  । वृद्धा आश्रम खोल के, चंदा खूब कमाय । लइका सब सेवा करय, नियम कोन बनवाय ।। सास ससुर ला छोड़ के, बहू देखावय शान । अइसन मनखे देख के, मुच मुच हासय भगवान । गंगा के पूजा करय, तन मन बोर नहाय । गंदा पानी गांव के, गंगा मा बोहाय । गउमाता जे मन कहय, छेके हे गउठान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगवान  ।। अपन सबो अधिकार ला, धरे हवे जे हाथ । जाने बर कर्तव्य ला, देवय ना ओ साथ । बार बार हड़ताल कर, लागे खूब महान । अइसन मनखे देख के, हासत हे भगव

डहत सुवारी मोर हे..

डहत सुवारी मोर हे, मइके मा तो जाय । पांव परे मा गा घलो, ससुरे ना तो आय ।। मोर गांव मा पूछ लव, सीधा साधा आॅव । दारू मंद ला छोड़ दे, मैं ना पान चबाॅव ।। अपन काम ले काम हा, मोला बने सुहाय । डहत सुवारी मोर हे.. काबर करे बिहाव हे, जाने ना भगवान । कतको बेरा देख ले, मारे केवल शान ।। देखय ना बोलय कभू, मोला मया लगाय । डहत सुवारी मोर हे .. केवल एके मांग हे, दाई ददा ल छोड़ । मोरे मइके मा चलव, ऐती नाता तोड़ । देख लेंव मैं जाय के, तभो ना तो भाय । डहत सुवारी मोर हे.. पढ़े लिखे के साध मा, माथा अपन ठठाॅव । धर डंडा कानून के, करे ओ काॅव-काॅव । कानून हवय अंधरा, कोन भला समझाय । डहत सुवारी मोर हे.. दुनिया दारी मा अभे, मोर लगे ना चेत । मरना जीना काय हे, जस नदिया के रेत ।। अपन खुदे के छाॅव हा, चाबे बर दउडाय । डहत सुवारी मोर हे..

देख देख ये फोटु ला

देख देख ये फोटु ला, पारत हे गोहार । बीता भर लइका इहां, गढ़त हवय संसार ।। लादे अपने पीठ मा, नान्हे भाई छांध । राखे दूनो हाथ मा, पाने ठेला बांध।। दूनो झन के पेट बर, बोहे जम्मा भार । देख देख ये फोटु ला... अइसन का पीरा हवय, ओखर आंखी देख । कहां ददा दाई हवय, दिखे भाग के लेख ।। आंसु धरे अनाथ मनन, होय आज लाचार । देख देख ये फोटु ला... मात देत हे काल ला, लइका के ये सोच । करम बड़े अधिकार ले, दूसर ला झन नोच ।। भीख कटोरा ना धरय, जांगर लय सम्हार । देख देख ये फोटु ला... लइका के तजबीज ला, कोरा अपन उठाव । बनके अब दाई ददा, लव बचपना बचाव ।। धरम करम के देष मा, होही बड़ उपकार । देख देख ये फोटु ला...

नवा बछर

नवा बछर तिहार असन, बाॅटय खुशी हजार । ले लव ले लव तुम अपन, दूनों हाथ पसार ।। नवा नवा मा हे भरे, नवा खुशी के आश । छोड़ बात दुख के अपन, मन मा भर बिसवास ।। काली होगे काल के, ओखर बात बिसार । नवा बछर तिहार असन नवा बछर के आय ले, मिटही सब तकलीफ । जेन चोर बदमाश हे, बनही बने शरीफ । काम बुता जब हाथ मा, होही झारा झार । नवा बछर तिहार असन चमकत हे परकाश कस, नवा बछर हा घोर । अंधियार ला मेटही, धरे हवे अंजोर ।। मन मा धर बिसवास तै, अपने काम सवार । नवा बछर तिहार असन

छोड़व छोड़व गौटिया

छोड़व छोड़व गौटिया, बेजाकब्जा धाक। गली खोर बन कोलकी, बस्ती राखे ढाक ।। काली के गाड़ी रवन, पयडगरी हे आज । कते करे ले आय अब, घर डेहरी सुराज ।। गाड़ी मोटर फटफटी, राखय कोने ताक । छोड़व छोड़व गौटिया चरिया परिया गांव के, नदिया नरवा झार । रोवत कहरत घात हे, बेजाकब्जा टार ।। कोन बचावय आज गा, तोर गांव के नाक । छोड़व छोड़व गौटिया चवरा राखे डेहरी, सोचे ना नुकसान । का तोरे ये मान हे, का तोरे ये शान ।। चक्कर दू आंगूर के, करे गांव ला खाक । छोड़व छोड़व गौटिया,

खनक खनक के हाथ मा

खनक खनक के हाथ मा, चूऱी बोले बोल । मोर मया के राज ला, जग मा देवय खोल ।। चूरी मोरे हाथ के, हवय तोर पहिचान । रूप सजाये मोर तो, देवय कतका मान ।। खनर खनर जब बोलथे, जियरा जाथे डोल  ।।खनक खनक के हाथ मा लाली हरियर अउ पियर, रंग रंग के रंग । सबो रंग मा तो दिखय,  केवल तोरे संग ।। तोर संग ला पाय के, हाथ बने बड़ बोल ।। खनक खनक के हाथ मा

मोर जवानी

घेरी घेरी ये ओढ़नी, कइसन सरकत जाय । कोन जनी का होय हे, मोला कुछु ना भाय ।। अपने तन हा गरू लगय, रेंगव जब मैं खोर । जेला देखव तेन हा, देखय आंखी फोर ।। सुन्ना होवय जब गली, रेंगब नई सुहाय । घेरी घेरी ये ओढ़नी सगली भतली खेल हा, लइका मन के खेल । पुतरा पुतरी संग अब, मन हा करे न मेल ।। संगी साथी छूट गे, नान्हे पन बिसराय । घेरी घेरी ये ओढ़नी हिरणी कस मन खोजथे, कूद कूद के घात । कइसन के ममहाय हे, आये समझ न बात ।। मोर जवानी आज तो, कस्तूरी बन आय । घेरी घेरी ये ओढ़नी

जब ले तोला पांय हव

जब ले तोला पांय हव, मया मरम जानेंव । जस जस बेरा हा बितय, अंतस मा लानेंव ।। काल परी कस तै रहे, आज घला हस हूर । दमक रहय तब चेहरा, आज घला हे नूर ।। हाड़ मास के का रखे, आत्मा ला जानेंव । जब ले तोला पांय हव सुख के संगी सब रहिन, दुख मा तैं अकेल । छोड़े जब संसार हा, तैं हर रखे सकेल ।। मया देह ले होय ना, आज बने जानेंव ।। जब ले तोला पांय हव एक दुसर बर हम हवन, जोर सांस के डोर । तोर जीनगी मोर हे, मोर जीनगी तोर । सातो फेरा के मरम, मैं हर पहिचानेंव । जब ले तोला पांय हव

अपन ददा के आज तै

तोरे सेती जेन हा, सहे रात दिन घाम । अपन ददा के आज तै, रखे डोकरा नाम । जर मा पानी छींच के, तोला झाड़ बनाय । पथरा मा मूरत असन, तोला जेन सजाय ।। आज ओखरे जीनगी, काबर हवे हराम । अपन ददा के आज तै... बर पीपर के छांव बन, देखे घर परिवार । खून छींच के आज तक, रखे जेन सम्हार । काम बुता ले ओखरे, सकला गे हे चाम ।। अपन ददा के आज तै... घूम घूम के खोज ले, ददे हे भगवान । ब्रम्हा कस ओ रचे, पाले बिष्णु समान ।। अइसन पालन हार के, कर सेवा के काम । अपन ददा के आज तै...

धनी मया हा तोर

तन मन मा तो छाय हे, धनी मया हा तोर । मोर हाल ला देख के, मचे गांव मा शोर ।। महर महर करथे मया, चारो कोती छाय  । मोरे मन के हाल हा, छूपय नही छुपाय।। तोर मया बिन रात हे, होत नई हे भोर । तन मन मा ... आंखी खोजे रात दिन, चारो डहर निहार । मन फंसे आठो पहर, तोरे करत बिचार ।। निंद भूख लागय नही, आथे सपना घोर । तन मन मा ... ये दुनिया के बंधना, लागे हे जंजीर । तोर बिना बेकार हे, जिनगी मोरे हीर ।। तोर मया के छांव बर, रेंगव कोरे कोर । तन मन मा ...

माटी हमरे गांव के...

माटी हमरे गांव के, महर महर ममहाय । चंदन ले आगर लगय, माथा देव चढ़ाय ।। दाई के कोरा असन, माटी हवय महान । अपन गांव के ये मया, मिलय न कहूं जहान उपजे बाढे हन जिहां, धुररा देह लगाय । माटी हमरे गांव के...... खेेले कूदे हन जिहां, आनी बानी खेल । संगी संगी हम रहन, करके सबले मेल ।। नरवा तरिया के मया, हमला रहय लुभाय ।। माटी हमरे गांव के...... चांव चांव चिरई करय, अपने पाखी खोल । हरियर हरियर खार मा, मनुवा नाचय डोल ।। अमराई बोइर झरी, अपने तीर बलाय।। माटी हमरे गांव के...... कहां मोर लइका हवय, कइसन ओखर हाल । कइसे ओ बिसराय हे, मोर हाल बेहाल ।। गांव तोर सुरता करय, आंखी आंसु ढराय । माटी हमरे गांव के...

कचरा करे सवाल

काबर पैदा होय हॅव, कचरा करे सवाल । फेके डारे बर घला, माचे हवय बवाल ।। घर ले फेके अंगना, लगे अंगना खोर । खोर खोर मा हे लगे, कतका कुढ़वा मोर ।। जतर कतर तो घात हे, गांव शहर के हाल । काबर पैदा होय हॅव.... नाक कान ला मूंद के, जाथें मोला छोड़ । अइसन अइसन सोच के, कइसे होही तोड़ ।। कोन खास अउ आम हे, सबके एके हाल । काबर पैदा होय हॅव... आये फेषन हे नवा, नेता ले शुरूवात । जब तक चमकय केमरा, चमचा संग बरात ।। झउहा रापा ला धरे, चले अपन ओ चाल । काबर पैदा होय हॅव.... ऐमा का परहेज हे, होय मोर उद्धार । साफ सफाई हे करे, भले दिखावा झार ।। संग होय सबके कहूं, कर लव मोरो ख्याल । काबर पैदा होय हॅव......

हे गुरूनानक देव के

हे गुरूनानक देव के, आज परब परकास । अपन हाथ ला जोर के, करत हवंव अरदास । ओ तलवंडी गांव मा, बन आये भगवान । दाई तृप्ता हा रहिस, ददा रहिस कल्याण । सुघ्घर पावन दिन रहिस,कातिक पुन्नी मास । हे गुरूनानक देव के... रहिस नानपन ले अलग, जगत मोह ले दूर । अपने मा खोये रहय, रहय अपन मा चूर ।। पंडित मौली ले घला, करय प्रष्न ओ खास । हे गुरूनानक देव के... गुरू नानक के काम मा, चमत्कार ला देख । जेने जानय तेन हा, लेवय माथा टेक ।। करे फेर उपदेष हे, देत अपन आभास । हे गुरूनानक देव के... गुरूनानक हा हे कहे, ढोंगी दुनिया देख । मनखे मनखे एक हे, देवता घला एक ।। सिक्ख पंथ के नेह ला, रचे हवय जनवास । हे गुरूनानक देव के...

खोजव खोजव चोर ला......

खोजव खोजव चोर ला, कोने मेर लुकाय । करके आघू आन ला, कइसे के भरमाय ।। दिखथे हमला मोहरा, हवय शकुनि के चाल । पै बारा ला देख के, होगे बारा हाल ।। काट मोहरा फेकथन, लेथे नवा बनाय । खोजव खोजव चोर ला...... कट्टरता के देह के, आतंकवाद नाम । जात धरम जानय नही, मारे ले हे काम ।। सोचे के तो बात हे, कट्टर कोन बनाय । खोजव खोजव चोर ला... जर मा पानी पाय के, बिरवा बनथे झाड़ । काटव जर ला खोज के, बाते लेवव ताड़ ।। मारव अइसन सोच ला, कट्टर जेन बनाय । खोजव खोजव चोर ला....

अइसे दीया बार

अपने मन के कोनहा, अइसे दीया बार । रिगबिग रिगबिग तो दिखय, तोरे अवगुण झार ।। अपन कमी ला जान के, काही करव उपाय । बाचय मत एको अकन, मन मा तोरे समाय ।। देवारी दीया हाथ धर, अवगुण ला तैं मार । अपने मन के कोनहा... हमरे सुधरे मा जगत, सुधरय पक्का जान । छोड़ गरब गुमान अपन, छोड़ अपन अभिमान ।। अपन मया के बंधना, बांधव जी संसार ।। अपने मन के कोनहा... तोरे कस तो आन हे, सुघ्घर के इंसान । ना कोनो छोटे बड़े, ना कोनो हैवान ।। हवय भुले भटके भले, ओला तैं सम्हार । अपने मन के कोनहा... जाति पाति अउ पंथ के, कर देबो अब अंत । मनखे  हा मनखे रहय, मन से होबो संत ।। राम राज के कल्पना, करबो हम साकार । अपने मन के कोनहा...

तोर मया ला पाय के

नायक- अपने अचरा छोर मा, बांध मया के डोर। लहर लहर जब ये करय, धड़कन जागय मोर ।। नायिका- तोर मया के झूलना, झूलॅंव अंगना खोर । सपना आंखी हे बसे, देबे झन तैं टोर ।। नायक- फूल असन हाॅसी हवय, कोयल बानी गोठ । चंदा बानी मुॅह हवय, मया हवे बड़ पोठ ।। दरस परय बर तोर मैं, तांकव बने चकोर । अपने अचरा छोर मा... नायिका- तोर देह के छांव कस, रेंगॅंव संगे संग । छाय मया के जब घटा, दूनों एके रंग ।। मोरे तन मन मा चढ़े, रंग मया के तोर ।। सपना आंखी हे बसे... नायक- तोर मोर सपना हवय, जस नदिया अउ कोर । छोर बिना नदिया कहां, नदिया बिन ना छोर ।। नायिका लहर लहर अचरा करय, तोर बांह के छोर । तोर मया ला पाय के, होगे मोरे भोर ।।

मानय पति ला प्राण कस....

सती व्रती के देश मा, नारी हमर महान । मानय पति ला प्राण कस, अपने सरबस जान । भादो मा तीजा रहय, कातिक करवा चौथ । होय निरोगी पति हमर, जीत सकय ओ मौत ।। मया करेजा कस करय, बनय मया के खान । मानय पति ला प्राण कस.... ध्यान रखय हर बात के, अपने प्राण लगाय । छोटे बड़े काम मा, अपने हाथ बटाय । घर ला मंदिर ओ करय, गढ़े मया पकवान । मानय पति ला प्राण कस...... पढ़े लिखे के का अरथ, छोड़ दैइ संस्कार । रूढि़वादी सब मान के, टोर दैइ परिवार ।। श्रद्धा अउ विश्वास ले, मिले सबो अरमान । मानय पति ला प्राण कस....

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