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कतका झन देखे हें-

मान सियानी गोठ

झेल घाम बरसात ला, चमड़ी होगे पोठ । नाती ले कहिथे बबा, मान सियानी गोठ ।। चमक दमक ला देख के, बाबू झन तैं मात । चमक दमक धोखा हवय, मानव मोरे बात ।। मान अपन संस्कार ला, मान अपन परिवार । झूठ लबारी छोड़ के, अपने अंतस झार ।। मनखे अउ भगवान के, हवय एक ठन रीत । सबला तैं हर मोह ले, देके अपन पिरीत ।। बाबू मोरे बात मा, देबे तैं हर ध्यान । सोच समझ के हे कहत, तोरे अपन सियान ।। कहि दे छाती तान के, हम तोरे ले पोठ । चाहे कतको होय रे, कठिनाई हा रोठ ।।

जसगीत

गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय रायपुर रतनपुर नवागढ़, महामाई बन बिराजे बम्लेश्वरी डोंगरगढ, पहडि़या ऊपर राजे बेमेतरा दुरूग मा, भद्रकाली चण्डी बाना साजे नाथल दाई नदिया भीतर, चंद्रहासनी संग बिराजे हो माय । तिफरा मा कालीमाई, डिंडेश्वरी मल्हारे बस्तर के दंतेवाड़ा, दंतेश्वरी संवारे सिंगारपुर मौलीमाता, भगतन के रखवारे खल्लारी मा खल्लारी माता, अंबिकापुर मा समलेश्वरी बिराजे हो माय गांव गांव पारा पारा, तोर मंदिर देवालय भाथे भगतन जाके तोर दुवरिया, अपन माथ नवाथे आनी बानी मन के मनौती, रो रो तोला गोहराथे सबके पीरा के ते हेरईया, सबके मन बिराजे हो माय । गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय -रमेशकुमार सिंह चौहान

भोजली गीत

रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत हन दाई मेटव हमर झमेला ।। -रमेशकुमार सिंह चैहान

कोन रंग लगाव (फाग)

कोने रंग लगांंव, कोनेे रंग लगांंव कोने रंग लगांंव, आसो के होरी मा । कोने अंग पिऊरा रे, कोने अंग लाल कोने अंग लाल कोने अंग हरियर रे, कोने अंग गुलाल कोने अंग गुलाल कोने रंग लगांव, आसो के होरी मा । पिऊरा रंग ले, तोला पिऊरावंव के मांघ सजावंव लाल माघ सजावंव लाल हाथ हरियर चूरी कस, ओठ गुलाबी गुलाल ओठ गुलाबी गुलाल कोने रंग लगांंव, आसो के होरी मा । रंग-रंग के हाथ मा, धरे हंंव गुलाल धरे हंव गुलाल तोला रंगे बिना रे गोरी,  कइसे  मोर तिहार कइसे मोर तिहार कोने रंग लगांंव, आसो के होरी मा । -रमेश चौहान

ददरिया

अमुवा के डार, बांधे हवंव झूलना । चल संगी झुलबो, बांह जोरे ना ।। चल संगी झूलबो मोर आंखी म तै, तोर आंखी म मै । आंखी म आंखी, मिलाबो हमन ना ।। चल संगी झूलबो मोंगरा के फूल, सजाहंव बेनी तोर । तोर रूप मनोहर, बसाहंव दिल मा ना ।। चल संगी झूलबो मया के चिन्हा, अंगरी म मुंदरी आजाबे रे संगी, पहिराहंव तोला ना ।। चल संगी झूलबो तै मोर राधा गोई, मै किसन बिलवा मया के बसुरी, बजा हू मै ह ना । चल संगी झूलबो मै तोर लोरिक गोई, तै मोर बर चंदा । जान के बाजी, मै हर लगा दूहू ना ।। चल संगी झूलबो आनी बानी के सपना, संजोहव आंखी म । बिहा के तोला, ले जाहू अपन अंगना । चल संगी झूलबो .............................. .......................... - रमेशकुमार चौहान नवागढ जिला बेमेतरा

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