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कतका झन देखे हें-

मैं विनय करंव कर जोर

मैं विनय करंव कर जोर ओ, मोर मरकी माता, जस गावंव तोर मोर शितला ओ माता, जस गावंव तोर मोर गांव हरदी बजार के, लीम तरी तोरे डेरा बइगा बबा संग पुजारी, करत जिहां हे बसेरा संग मा सेवा बजावंव ओ, सरधा के छलके आंसू ले, तोरे पांव पखारंव अपन मन के सबो मनौती, तोरे चरण मढावंव फेर नरियर जस तन चढावंव ओ.... लइका बच्चा नर नारी सब, तोरे दुवारी आवंय अपन अपन हाथ जोर के, अपन दरद सुनावंय तोर दया ले सबो सुख पावंय ओ...

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे

जतन करव बेटी के संगी जतन करव रे जतन करव नोनी के संगी जतन करव रे मोर जतन करव रे ओ.. मोर जतन करव रे मैं नारी दुखयारी अंव नर नारी के जननी महतारी अंव महतारी अंव जतन करव रे...... पेट भीतर काबर कोनो नोनी बाबू जांचे नोनी नोनी ला मारे तैं बाबू बाबू हा बाचे तुहर करेजा बाबू के मैं हर सुवारी अंव जतन करव रे...... आधा दुनिया मोरो हे आधा अबादी कहाय पेट भीतर हमला मार के सृश्टि रचना डोलाय जगत रचना के मैं हर फूलवारी अंव जतन करव रे...... जनम दे के दुनिया मा मोला बेटा कस बढ़ावा दाई ददा के लाठी बनहू महूं ला खूब पढ़ावा ससुरे मइके मा सुख दुख के संगवारी अंव जतन करव रे......

मोर दूसर ब्लॉग