सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मदनहर दंडक लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कतका झन देखे हें-

जय-जय रघुराई

जय-जय रघुराई, रहव सहाई, तैं सुखदाई जगत कहै, मन भगत लहै । गुण तोरे गावय, तेन अघावय, सब सुख पावय दुख न सहै, जब चरण गहै ।। सब मरम लखावत, धरम बतावत, चरित देखावत पाठ गढे़, ये जगत कढ़े । जग रिश्तादारी, करत सुरारी, जगत सम्हारी जगत पढ़े, सब आघु बढ़े ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

मोर दूसर ब्लॉग