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कतका झन देखे हें-

टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के

नायक - गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । फूल बुटा बनवाय हंव, गोरी तोरे नाम के ।। नायिका- टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । खोर गिंजरा सेखिया, नई हवस कुछु काम के ।। नायक- तैं डारे हस मोहनी, मुखड़ा ला देखाय के । होगे तैं दिल जोगनी, दिल म मया जगाय के । तोर मया ला पाय बर, घूट पियें बदनाम  के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- रूप रंग ला तैं अपन, दरपन धर के देख ले । आधा चुन्दी ठेकला, गाल दिखे हे पेच ले । कोने तोला भाय हे, फूल कहे गुलफाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के । नायक- तोरे मुॅह ला देख के, चंदा लुकाय लाज मा । मुच मुच हॉसी तोर ओ, भगरे हे सब साज मा । तैं मोरे दिल मा बसे, जइसे राधा ष्याम के । गोदवाय हंव गोदना, गोरी तोरे नाम के । नायिका- काबर तैं घूमत हवस, पढ़ई लिखई छोड़ के । आथस काबर ये गली, अइसन नाता जोर के । धरे मया के भूत हे, तोला मोरे नाम के । टूरा बहिया भूतहा, नई हवस कुछु काम के ।

मैं पगला तैं पगली होगे (युगल गीत)

नायक- मैं पगला तैं पगली होगे, बोले ना कुछु बैना । ठाढ़े ठाढ़े देखत रहिगे, गोठ करे जब नैना । नयिका- मैं पगली तैं पगला होगे, बोले ना कुछु  बैना । ठाढ़े ठाढ़े देखत रहिगे, गोठ करे जब नैना । नायक- तोरे हाॅसी फासी होगे, जीना मरना एके । तोला छोड़े रेगंव जब जब, हाॅसी रद्दा छेके । तोर बिना जोही अब मोला, आवय नही कुछु चैना । मैं पगला तैं पगली होगे....... नायिका- धक धक जियरा मोरे करथे, देखे बर गा तोला । तोर बिना अब का राखे हे, का मन अउ का चोला । सांस सांस मा बसे हवस तैं, मिलय कहां अब चैना । मैं पगली तैं पगला होगे.... नायक- मैं पाठा के मछरी जइसे, खोजत रहिथव पानी । जी मा जी तब आही जब तैं, होबे घर के रानी । डोला साजे तोला लाहू, सुन ले ओ फुलकैना । मैं पगला तैं पगली होगे....... नायिका- सुवा पिंजरा के जइसे मैं हर, खोलत रहिथंव पांखी । दाना पानी छोड़े बइठे, पानी ढारंव आंखी । आही मोरे राजकुवर हा, काटे बर ये रैना । मैं पगली तैं पगला होगे....

कुॅवा पार मा (युगल गीत)

नायिका- कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- सुरता आवत हावे संगी, बीते हमर कहानी । संग सहेली रहिन न कोनो, भरत रहंव मैं पानी ।। कोन डहर ले कब के आयो, खड़े रहे तैं भोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- सुरता के कोठी के छबना, देखत हॅव मैं खोले । देख देख काली के बाते, मन हा मोरे डोले ।। तोरे मोरे आंखी कइसे, तोरे मोरे आंखी कइसे, चढ़े एक हिंडोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर करेजा, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायिका- भरत भरत पानी हउला मा, देखेंव तोर काया । देखत देखत कइसे संगी, जागे तोरे माया ।। आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, ...... आंखी मोरे खुल्ला रहिगे, होष रहय ना मोला, कुॅवा पार मा कुॅवा पार मा मोर मयारू, देखे रहेंव तोला, कुॅवा पार मा नायक- उतर सरग ले एक परी हा, भरत रहिस हे पानी । पाके आमा जइसे जेमा, छलकत रहिस जवानी ।। मारू

तोर मया ला पाय के

नायक- अपने अचरा छोर मा, बांध मया के डोर। लहर लहर जब ये करय, धड़कन जागय मोर ।। नायिका- तोर मया के झूलना, झूलॅंव अंगना खोर । सपना आंखी हे बसे, देबे झन तैं टोर ।। नायक- फूल असन हाॅसी हवय, कोयल बानी गोठ । चंदा बानी मुॅह हवय, मया हवे बड़ पोठ ।। दरस परय बर तोर मैं, तांकव बने चकोर । अपने अचरा छोर मा... नायिका- तोर देह के छांव कस, रेंगॅंव संगे संग । छाय मया के जब घटा, दूनों एके रंग ।। मोरे तन मन मा चढ़े, रंग मया के तोर ।। सपना आंखी हे बसे... नायक- तोर मोर सपना हवय, जस नदिया अउ कोर । छोर बिना नदिया कहां, नदिया बिन ना छोर ।। नायिका लहर लहर अचरा करय, तोर बांह के छोर । तोर मया ला पाय के, होगे मोरे भोर ।।

कब लाबे बारात

नायक सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर । संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।। नायिका झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर । चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।। नायक गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर । चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर । नायिका गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह । झूला झूलत मैं कभू,  कहां पायेंव थाह ।। नायक कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर । भीतर  मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।   नायिका बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर । जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर । नायक छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ । जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।। नायिका हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात । आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।

भूत मया के हे धरे (दोहा-ददरिया)

नायक कहां जात हस आज तैं, करे बने सिंगार । कुछु कांही तो बोल ले, करके तैं उपकार ।। नायिका का मतलब तोला हवय, कर तैं अपने काम । जाना हे मोला जिहां, जाहूं ऊही धाम ।। नायक बोली ले महुहा झरे, सुन सुन नशा छाय । चंदा बानी चेहरा, रति हर देख लजाय ।। थोरिक बिलम्ब ले इहां, जाबे तब संसार ।। कहां जात हस आज तैं......   नायिका बड नटखट बदमाश हस, रद्दा छेके मोर । काम बुता तैं छोड़ के, ठाड़े दांत निपोर ।। चल हट रद्दा छोड़ दे, होत हवे रे घाम ।। का मतलब तोला हवय...... नायक रद्दा छोड़े मैं खड़े, काबर दोश लगाय । अंतस अपने देख ले, कोन भला बिलमाय । तन धर के ठाड़े मया, तोरे रद्दा पार ।। कहां जात हस आज तैं...... नायिका बइही  अस मोला लगय, सुन के तोरे गोठ । तैं दूरीहा मा खड़े, कोन धरे हे पोठ ।। भूत मया के हे धरे, अब का होही राम ।। का मतलब तोला हवय......

दोेहा-ददरिया

नायिका सावन मा लागे झड़ी, हरर हरर तो जेठ । तोर अगोरा मैं धनी, खड़े दुवारी पेठ ।। नायक बात जेठ के छोड़ दे, आगे सावन देख । होही हरियर अब छोर हा, अचरा मया समेख ।। नायिका सपना जइसे हे लगे, तोर मया के गोठ । दरस परस बर तोर गा, जागे पियास पोठ ।। नायक साॅस साॅस मा तैं बसे, मोरे साॅस चलाय । बैरी गोरी साॅस ले, कइसे तैं बिसराय ।। नायिका डारा डारा नाचथे, भवरा देख लुभाय । काचा काचा ओ कली, कइसे जाय भुलाय ।। नायक कांटा छेदे पंख ला, तभो कली बर जाय । भवरा देथे प्राण ला, जग ला मया जनाय ।। नायिका मैं अइलावत धान कस, रहेंव गा मुरझाय । सावन बरखा बूॅंद कस, मोला तैं जीयाय ।। नायक तोरे ले मोरे हवय, जीवन के ये डोर । चीत चोर सजनी भला, समझे कइसे चोर ।। नायिका बालम तोरे आय ले, आये जीवन मा भोर । तोर मया के गोठ ला, बांधे रहिंव छोर ।। नायक ऐही आसा विष्वास हा, बने मया के गांठ । बोली बतरस मा अपन, हॅसी खुषी ला साट ।। -रमेेश चौहान

दोहा-ददरिया

नायक हसिया धर कांदी लुये, तैं हर धनहा पार । गोई तोला देख के, आवत हवे अजार ।।   नायिका जा रे बिलवा भाग तैं, काबर आये हस पार । आवत हे मोरे ददा, पहिलि खुद ल सम्हार ।। नायक तोर मया ला पाय के, सुध बुध मैं भूलाय । काला संसो अउ फिकर, चाहे कोनो आय ।। नायिका धरे हवे लाठी ददा, आवत हाथ लमाय । छोड़ चटहरी भाग तैं, देही सबो भूलाय ।। नायक मया उलंबा होय हे, कहां हवे डर यार । तोला मे हर पाय बर, आय हवॅव ये पार ।।   नायिका जा जा जोही भाग तैं, तोरे मया अपार । तोरे घर ला मैं धनी, कर लेहूं ससुरार

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