बुता काम बिना दाम, मिलय नही ये दुनिया । लिखे पढ़े जेन कढ़े, ओही तो हे गुनिया ।। बने पढ़व बने कढ़व, शान-मान यदि चाही । पूछ परख तोर सरख, होही जब कुछु आही ।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
1 माह पहले