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कतका झन देखे हें-

हिन्दू के बैरी हिन्दू

हिन्दू ला हिन्दू होय म, आवत हवय लाज । हिन्दू के बैरी हिन्दू, काबर हवय आज ।। सबो धरम दुनिया मा हे, कोनो करे न बैर । हिन्द ह हिन्दू के नो हय, कोन मनाय खैर ।। सबो धरम  हा इहां बढ़य, हमला न विद्वेश । हमर मान ला रउन्द मत, आय हमरो देश ।। हिन्दू कहब पाप लागय, अइसन हे समाज । दुनिया भर घूमत रहिके, नई बाचय लाज ।।

जन्नत ला डहाय

सिंहिका छंद ये बैरी अपने घर मा. आगी तो लगाय । मनखे होके मनखे ला. अब्बड़ के सताय ।। अपने ला धरमी कहिथे. दूसर ला न भाय ।। जन्नत के ओ फेर परे, जन्नत ला डहाय ।।

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