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कतका झन देखे हें-

मया बिना ये जिनगी कइसे

मया बिना ये जिनगी कइसे होथे, हवा बिना जइसे देह काया । रंग मया के एक कहां हे संगी, इंद्रधनुष जइसे होय माया ।। मया ददा-दाई के पहिली जाने, भाई-बहिनी घला पहिचाने । संगी मेरा तैं हर करे मितानी, तभो एकझन ला अपन जाने ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

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