ये गाँव ए भल ठाँव ए, इंसानियत पलथे जिहां। हर राग मा अउ गीत मा, स्वर प्रेम के मिलथे इहां ।। हे आदमी बर आदमी, धर हाथ ला सब संग मा । मनखे जियत तो हे जिहां, मिलके धरा के रंग मा । संतोष के अउ धैर्य के, ये पाठशाला आय गा । मन शांति के तन कांति के, रुखवा जिहां लहराय गा ।। पइसा भले ना हाथ मा, जिनगी तभो धनवान हे । खेती किसानी के बुते, हर आदमी भगवान हे ।।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
-
मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
1 माह पहले