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संदेश

कतका झन देखे हें-

गुरू घासी दास बबा

गुरु घासी दास बाबा,  सत के  अलख जगायें ये धाम म  । सत के अलख जगायें ये धाम म ...2 सादा तोर खम्भा बाबा, सादा तोर धजा , सादा तोर धजा बाबा, सादा तोर धजा, सत के धजा फहरायें ये धाम म । मनखे मनखे एक होथे, मनखे ल बतायें मनखे ल बतायें बाबा, मनखे ल बतायें मनखे  मन के छुवाछूत ल मिटायें ये धाम म ।

अब मान जा ना रे जोही

रतिहा के गुसीआएं, अब ले बोलत नई अस । अब मान जा ना रे जोही, मोर जीयरा जरय। अब मान जा... कोयली कस बोली, तोर हसी अऊ ठिठोली, सुने बर रे पिरोहील, मोर मनुवा तरसय । अब मान जा... चंदा बरन तोर रूप, राहू कस गुस्सा घूप, लगाय हे रे ग्रहण, अंधियार अस लागय । अब मान जा... तोर गोरी गोरी गाल, गुस्सा म होगे ह लाल, तोर गुस्सा  ह रे बैरी, आगी कस बरय । अब मान जा... होही गलती मोर, मै कान धरव तोर मया बर रे संगी, मै घेरी घेरी मरव । अब मान जा... ............................... .रमेश

हे महामाई

हे महामाई दया कर, हम नवावन माथ ला । भक्त सब जष तोर गावन, छोड़ बे झन मां साथ ला । तोर सीवा मोर दाई, कोन हे साथी भला । जांच जग ला देख डरे हन, स्वार्थ मा भूले भला ।

ये गोरी मोर

ऐ गोरी मोर, पैरी तोर, रून छुन बाजे ना । सुन मयारू बोल, ढेना खोल, मनुवा नाचे ना । कजरारी नैन, गुरतुर बैन, जादू चलाय ना । चंदा बरन रूप, देखत हव चुप, दिल मा बसाय ना । गोरी तोर प्यार, मोर अधार, जिनगी ल जिये बर । ये जिनगी तोर, गोरी मोर, मया मा मरे बर । कइसन सताबे, कभू आबे, जिनगी गढ़े बर । करव इंतजार, सुन गोहार, तोही ल वरे बर । .............रमेश ......................

ददरिया

अमुवा के डार, बांधे हवंव झूलना । चल संगी झुलबो, बांह जोरे ना ।। चल संगी झूलबो मोर आंखी म तै, तोर आंखी म मै । आंखी म आंखी, मिलाबो हमन ना ।। चल संगी झूलबो मोंगरा के फूल, सजाहंव बेनी तोर । तोर रूप मनोहर, बसाहंव दिल मा ना ।। चल संगी झूलबो मया के चिन्हा, अंगरी म मुंदरी आजाबे रे संगी, पहिराहंव तोला ना ।। चल संगी झूलबो तै मोर राधा गोई, मै किसन बिलवा मया के बसुरी, बजा हू मै ह ना । चल संगी झूलबो मै तोर लोरिक गोई, तै मोर बर चंदा । जान के बाजी, मै हर लगा दूहू ना ।। चल संगी झूलबो आनी बानी के सपना, संजोहव आंखी म । बिहा के तोला, ले जाहू अपन अंगना । चल संगी झूलबो .............................. .......................... - रमेशकुमार चौहान नवागढ जिला बेमेतरा

छत्तीसगढ़ महतारी

हे दाई छत्तीसगढ़, हाथ जोड़ परनाम। घात मयारू तैं हवस, दया मया के धाम । दया मया के धाम, सांति सुख तै बगरावत । धन धन हमर भाग, जिहां तो हम इतरावत ।। धुर्रा माटी तोर, सरग ले आगर भाई। होवय मउत हमार, तोर कोरा हे दाई ।।1।। महतारी छत्तीसगढ़, करत हंव गुनगान । अइसन तोरे रूप हे,  कइसे होय बखान ।। कइसे होय बखान, मउर सतपुड़ा ह छाजे । कनिहा करधन लोर, मकल डोंगरी बिराजे ।। पैरी साटी गोड, दण्ड़कारण छनकारी । कतका सुघ्घर देख, हवय हमरे महतारी ।।2।। महतारी छत्तीसगढ़, का जस गावन तोर । महानदी शिवनाथ के, सुघ्घर कलकल शोर ।। सुघ्घर कलकल शोर, इंदरावती सुनावय । पैरी खारून जोंक, संग मा राग मिलावय ।। अरपा सोंढुर हाॅफ, हवय सुघ्घर मनिहारी । नदिया नरवा घात, धरे कोरा महतारी ।।3।। महतारी छत्तीसगढ़, सुघ्घर पावन धाम । धाम राजीम हे बसे, उत्ती मा अभिराम ।। उत्ती मा अभिराम, हवय बुड़ती बम्लाई । अम्बे हे भंडार, अम्बिकापुर के दाई । दंतेसवरी मोर, सोर जेखर बड़ भारी। देत असिस रक्सेल, सबो ला ये महतारी ।।4।। महतारी छत्तीसगढ़, तोर कोरा म संत । कतका देव देवालय, कतका साधु महंत ।। कतका साधु महंत, बसय दा

काटा म जब काटा चुभाबे

काटा म जब काटा चुभाबे, तभे निकलथे काटा पांव । कटे ल अऊ काटे ल परथे, त जल्दी भरते कटे घांव ।। लोहा ह लोहा ला काटथे, तब बनथे लोहा औजार । दुख दुख ला काटही मनखे, ऐखर बर तै रह तइयार ।। जहर काटे बर दे ल परथे, अऊ जहर के थोकिन डोज । गम भुलाय ल पिये ल परथे, गम के पियाला रोज रोज ।। प्रसव पिरा ला जेन ह सहिथे, तीनो लोक ल जाथे जीत । धरती स्वर्ग ले बड़े बनके, बन जाथे महतारी मीत ।। दरद मा दरद नई होय रे, दरद के होथे अपन भाव । दरद सहे म एक मजा होथे, जब दरद म घला होय चाव ।।

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