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कतका झन देखे हें-

गजल-नेतामन जाही अब तोर गॉंव

ग़ज़ल- नेतामन जाही अब तोर गॉंव नेतामन जाही अब तोर गांव, आवत हे चुनाव अब तो कर ही ओमन चाँव-चाँव आवत हे चुनाव आनी बानी गुरतर गोठ ले बताही जात-पात ऊँचा-नीचा के खेलत ओ दांव आवत हे चुनाव कत का दिन के भूले भटके, पूछ रद्दा जाही तोर घर-घर जाही जाही ठाँव-ठाँव, आवत हे चुनाव जादूगर कस फूंके बासुरी, अऊ घूमाय हाथ देखव गा जादू पीपर के छाँव, आवत हे चुनाव जीते बर बाटे गा दारू, बाटे पइसा थोर थोर सोचव गा काबर हे तोर भाव, आवत हे चुनाव हरहा मनखे  कुछु कर सकथे, दाँव सब हारे के बाद तब तो ओ मन पर ही तोर पाँव, आवत हे चुनाव -रमेश चौहान

पइसा

पइसा ले नाता हवय, हवय संगी मितान। पइसा बीना हे कहां, तोर कदर इंसान ।। तोर कदर इंसान, कमावत ले तो होही  । जांगर थिराय कोन, कहय रे तोला जोही ।। जीयत भर तै पोस, कमा ले गा जस भइसा । बीबी बच्चा तोर, रात दिन मांगे पइसा । - रमेशकुमार सिंह चौहान

दोहावली

गली गली छेकाय अब, रद्दा रेंगव देख । चाकर दिखय गली कहू, ओला तैले छेक ।। बनवा लव चैरा बने, बाजू पथरा गाड़ । अऊ पानी निकल दव, गली म जावय माड़ ।। रद्दा छेके तै बने,  दूसर बर चिल्लाय । अपन आघू म शेर तै, पाछू म मिमीआय ।। गली अब कोलकी बने, बने न आवत जात । मतलब कोनो ला कहां, मतलबीया जमात ।। छोकरी दिखय छोकरा,  जिंस पेंट फटकाय । कनिहा ले बेनी कहां, चुन्दी ले कटवाय ।। छोकरा दिखय छोकरी, लंबा चुन्दी भाय । चिक्कन चांदर गाल हे, मेछा हे मुड़वाय ।।

गंवा गे जी गांव

    गंवा गे जी गांव, कहूं देखे हव का गा ।     बइठे कोनो मेर, मुड़ी मा बांधे पागा ।।     खोंचे चोंगी कान, गोरसी तापत होही ।     मेझा देवत ताव, देख इतरावत होही ।।1।।     कहां खदर के छांव, कहां हे पटाव कुरिया ।     ओ परछी रेंगान, कहां हे ठेकी चरिया ।।     मूसर काड़ी मेर, हवय का संगी बहना ।     छरत टोसकत धान, सुनव गा दाई कहना ।।2।।     टोड़ा पहिरे गोड़, बाह मा हे गा बहुटा ।     कनिहा करधन लोर, सूतिया पहिरे टोटा ।।     सुघ्घर खिनवा ढार, कान मा पहिरे होही ।     अपने लुगरा छोर, मुडी ला ढाॅंके होही ।।3।।     पिठ्ठुल छू छूवाल, गली का खेलय लइका ।     ओधा बेधा मेर, लुकावत पाछू फइका ।।     चर्रा खुड़वा खेल, कहूं का खेलय संगी ।     उघरा उघरा होय, नई तो पहिरे बंडी ।।4।।     घर मोहाटी देख, हवय लोहाटी तारा ।     गे होही गा खेत, सबो झन बांधे भारा ।।     टेड़त संगी कोन, देख बारी मा टेड़ा ।     फरे भाटा पताल, हवय का सुघ्घर केरा ।।5।।      रद्दा रेंगत जात , धरे अंगाकर रोटी ।     धोती घुटना टांग, फिरे का देख कछोटी ।।     पीपर बरगद छांव, ढिले का गढहा गाड़ी ।     करत बइठ आराम, दे

गुरू घासी दास बबा

गुरु घासी दास बाबा,  सत के  अलख जगायें ये धाम म  । सत के अलख जगायें ये धाम म ...2 सादा तोर खम्भा बाबा, सादा तोर धजा , सादा तोर धजा बाबा, सादा तोर धजा, सत के धजा फहरायें ये धाम म । मनखे मनखे एक होथे, मनखे ल बतायें मनखे ल बतायें बाबा, मनखे ल बतायें मनखे  मन के छुवाछूत ल मिटायें ये धाम म ।

अब मान जा ना रे जोही

रतिहा के गुसीआएं, अब ले बोलत नई अस । अब मान जा ना रे जोही, मोर जीयरा जरय। अब मान जा... कोयली कस बोली, तोर हसी अऊ ठिठोली, सुने बर रे पिरोहील, मोर मनुवा तरसय । अब मान जा... चंदा बरन तोर रूप, राहू कस गुस्सा घूप, लगाय हे रे ग्रहण, अंधियार अस लागय । अब मान जा... तोर गोरी गोरी गाल, गुस्सा म होगे ह लाल, तोर गुस्सा  ह रे बैरी, आगी कस बरय । अब मान जा... होही गलती मोर, मै कान धरव तोर मया बर रे संगी, मै घेरी घेरी मरव । अब मान जा... ............................... .रमेश

हे महामाई

हे महामाई दया कर, हम नवावन माथ ला । भक्त सब जष तोर गावन, छोड़ बे झन मां साथ ला । तोर सीवा मोर दाई, कोन हे साथी भला । जांच जग ला देख डरे हन, स्वार्थ मा भूले भला ।

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