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संदेश

कतका झन देखे हें-

नवा नवा सोच ले

हम तो लईका संगी, आन नवा जमाना के । विकास गाथा गढ़बो, नवा नवा सोच ले ।। ऊॅच नीच के गड्ठा ला, आज हमन पाटबो । नवा रद्दा ला गढ़बो, नवा नवा सोच ले ।। जात पात धरम के, आगी तो दहकत हे । शिक्षा के पानी डारबो, नवा नवा सोच ले ।। भ्रष्टाचार के आंधी ला, रोकबो छाती तान के । ये देश ला चमकाबो, नवा नवा सोच ले ।। दारू मंद के चक्कर, हमला नई पड़ना । नशा के जाल तोड़बो, नवा नवा सोच ले ।। जवानी के जोश मा, ज्वार भाटा उठत हे । दुश्मन ला खदेड़बो, नवा नवा सोच ले ।। हर भाषा हमार हे, हर प्रांत हा हमार । भाषा प्रांत ला उठाबो, नवा नवा सोच ले ।। नवा तकनीक के रे, हन हमूमन धनी । तिरंगा ला फहराबो, नवा नवा सोच ले ।।

होली के उमंग

होली के उमंग (‍त्रिभंगी छंद) हे होली उमंग, धरे सब रंग, आनी बानी,  खुुुुशी भरे । ले के पिचकारी, सबो दुवारी, लइका ताने, हाथ धरे ।। मल दे गुलाल, हवे रे गाल, कोरा कोरा, जेन हवे। वो करे तंग, मया के रंग, तन मन तोरे, मोर हवे ।।

मारी डारे

तै संगी मोला, तरसा चोला, मारी डारे, काबर ना । गे कबके विदेश, भेजे संदेश, एको पाती, चाकर ना ।। जे दिन ले आएं, तै ना भाएं, एको चिटीक, मोला रे । तै पइसा होगे, किस्मत सोगे, गे उमर बीत, भोला रे ।।

भुजंगप्रयात छन्द

         भुजंगप्रयात छन्द 1.    कहां मोर हंसा सुवा हा उड़े गा ।     कहे कोन संगी हवा मा जरे गा ।     भये ठाठ तो ठाट आखीर काया ।     तभो जीव हा फेर ले फसे माया । 2.    मरे हे कहां गा कभू तोर आत्मा ।     कहे श्री कभू होय ना जीव खात्मा।।     नवा रे नवा वो धरे फेर चोला ।     करे देह के मोह ला त्याग भोला ।। 3.    चना दार ला डार रांघे करेला ।     तिजा तै रहे गोइ जीये मरेला ।।     धरे लूगरा तोर दाई ह देवे ।     ददा संग मांगे तभे च लेवे ।। 4.    नवा रे जमाना नवा हे लईका ।     नवा हे मकाने नवा हे फईका ।।     धरे खाय पाऊच रे देख लैला ।     पिये दारू माते बने देख छैला ।।

कंचन काया हवय तोर

कंचन काया हवय  तोर । लजागे चंदा सुन सोर । कतका सुघ्घर तोर गोठ । सुन कोयल करे मन छोट । चुन्दी कारी तोर देख । घटा बादर होगे पेख ।         पेख -पेखन - खिलौना पारे पाटी बने मांग । पाछू फूल गजरा टांग । मांगमोती आघू ओर । सुरूज जस चमके खोर । माथा टिकली गोल गोल । समा गे जम्मा भूगोल । नाक नथनी झुमका कान । आंखी तोर तीर कमान । ओट तोरे फूल गुलाब । दे गोइ अनमोल खिताब । सुराही गर्दन श्रृंगार । पहिरे तै सोनहा हार । लाली लुगरा डारे खांध । कनिहा म करधनिया बांध । रून झुन करे साटी गोड़ । सुन देखय सब मुह ल मोड़ । तोरे सोलहो सिंगार । मुरदा देही जीव डार । मेनका उर्वशी सबो फेल । हवय रूप मा जादू खेल । फर्सुत म विधाता गढ़े । देखे बर देवता ह खड़े । मोला तै कनेखी देख । मया कर हू मै अनलेख । देख तोर एक मुस्कान । दे दू हूं गोइ अपन जान ।

जीये बर जरूरी हवय (कुण्डलि)

जीये बर जरूरी हवय, हमन ला तीन बात । मुड़ मा होवय छांव गा, मिलय पेट भर भात ।। मिलय पेट भर भात, बदन मा होवय कपड़ा । पति पत्नि संग होय, रूढ़े मनाय के लफड़ा ।। संगी मन के प्यार, सबो दुख ल लेथे पिये । ददा दाई के दुलार, देख हमरे बर जीये ।।

करा दव बिहाव आसो (कुण्डलि)

आसो करवा दे बबा, मोरो तै ग बिहाव । कानी खोरी कइसनो, खोजे बर तो जाव ।। खोजे बर तो जाव, डहत हे मोर जुवानी । कइसे बबा सुनाव, अपन मै तोला कहानी ।। हासय संगी मोर, तुहू मन मोला हासो । फेर कइसनो होय, करा दव बिहाव आसो ।।

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