बिहनिया बिहनिया, सुत उठ के देख ले, अपन तै चारो कोती, नवा नवा घाम मा । हरियर हरियर, धरती के लुगरा मा, सीत जरी कस लागे, पुसवा ये धाम मा ।। निकाल मुॅंह ले धुॅवा, चोंगी के नकल करे, चिढ़ावत हे बबा ला, माखुर के नाम मा । भुरी तापत बइठे, चाय चुहकत बबा, उठ उठ चिल्लावय, चलव रेे काम मा ।
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले