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संदेश

कतका झन देखे हें-

राजा मुन्ना

मुन्ना राजा मोर तै, कान्हा कृष्णा आस । खिल खिल ये तोरे हसी, सबला लेथे फास ।। सबला लेथे फास,  पाय पोटारे बर गा । हला हला के हाथ, बलाथस अपन डहर गा ।। देख ऐला ‘रमेश‘, बात थोकिन तै गुन ना। बालक रूप भगवान, आय गा राजा मुन्ना ।।

कविता

कविता तो कलपना दिल के, मन के गुंथे भाव । नो हय निच्चट कल्पना, आवय सुख दुख के घाव ।। आवय सुख दुख के घाव, जेन दुनिया ले आथे । गुरतुर नुनछुर स्वाद, सबो झन ला जनवाथे ।। अनुभव करे ‘रमेष‘, लिखे करू कस्सा सुभिता । आखर आखर जोर, गढ़े जाथे कविता ।।

छत्तीसगढ़ी

छत्तीसगढ़ी हे हमर, भाखा अउ पहिचान । छोड़व जी हिन भावना, करलव गरब गुमान ।। करलव गरब गुमान, राज भाषा होगे हे । देखव आंखी खोल, उठे के बेरा होगे हे ।। अड़बड़ गुरतुर गोठ, मया के रद्दा ल गढ़ी । बोलव दिल ला खोल, अपन ये छत्तीसगढ़ी ।।

चंदा बानी चेहरा

चंदा बानी चेहरा, कोयली असन बोल । जादू आंखी मा भरे, काया हे अनमोल ।। काया हे अनमोल, मया ले सुघ्घर पागे । कामदेव के बाण, हृदय मा जेखर लागे । बाचे कहां ‘रमेश‘, मया के अइसन फंदा । अपने ला बिसराय, देख पुन्नी के चंदा ।।

मोर जिनगी हे तोरे

मोर जिनगी हे तोरे (कुण्‍डलियां)  तोरे गुरतुर बोल ले, होते मोरे भोर ।। हासी मुच मुच तोर ओ, टानिक आवय मोर । टानिक आवय मोर, मया हर तोरे गोरी । जब ले होय बिहाव, मनावत हन हम होरी ।। रखबे तै हर ध्यान, मया झन होवय थोरे । सिरतुन के हे बात, मोर जिनगी हे तोरे ।।

गांव-गांव अब तो संगी होवत हे शहर

गांव-गांव अब तो संगी होवत हे शहर । पक्की-पक्की घर-कुरिया पक्की हे डगर ।। पारा-पारा आंगन-बाड़ी स्कूल गे हे सुधर । छोटे-बड़े नोनी-बाबू अब पढ़े हे हमर ।। मोटर-गाड़ी गांव मा घला हवय अड़बड़ । नवा-नवा रद्दा-बाट मा नवा हे सफर ।। हर हाथ मा मोबाइल दिखय सबो डहर हेलो-हेलो सुनय-कहय देवत-लेवत खबर ।। तोरी-मोरी लोग-बाग अब तो गे हें बिसर । अपन-अपन काम -बूता मा मगन हे चारो पहर ।। गली-खोर अब अंजोर हे अब रतिहा पहर । घर-घर बिजली बरे अउ चले हे चवर ।। आनी-बानी गाल मा पोते स्नो अउ पाउडर । टीप-टांप टुरी-टनकी गांव मा ढावत हे कहर ।। -रमेश चौहान

देत हस काबर कांटा

कांटा रद्दा के बिनय, पहिली हमर सियान । डहर चला बर डहर के, राखय पूरा ध्यान ।। राखय पूरा ध्यान, एक दूसर बस्ती मा । हर सुख दुख मा साथ, रहय सब्बो मस्ती मा। का होगे ग ‘रमेश‘, आज तै करे उचाटा । रद्दा परिया छेक, देत हस काबर कांटा ।।

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