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कतका झन देखे हें-

पइसा धरे खरीद

दुनिया के हर चीज ला, पइसा धरे खरीद । कहिथे गा धनवान मन, हाथे धरे रसीद ।। हाथ धरे रसीद, कहे मनखे तक बिकथे । नैतिकता ला आज, जगत मा कोने रखथे ।। सुनलव कहय ‘रमेश‘, मया तो हे बैगुनिया । दया मया भगवान, बिके ना कोनो  दुनिया ।। -रमेश चौहान

आंसू ढारे देख

जबतक बिहाव होय ना, बेटा तबतक तोर । आय सुवारी ओखरे, बिसरे तोरे सोर ।। बिसरे तोरे सोर, अपन ओ मया भुलाये । रीत जगत के जान , ददा काबर झल्लाये । देखव जगत ‘रमेश‘, तोर बेटी हे कबतक । आंसू ढारे देख, चले स्वासा हे जबतक ।।

सावन झूला झूलबो

सावन झूला झूलबो, बांधे अमुवा डार । पुरवाही सुघ्घर चलत, होके देख मतंग । चल ओ राधा गोमती, मीना ला कर संग । मितानीन हे संग मा, धरे सहेली चार ।। सावन...... झिमिर झिमिर पानी गिरे, नाचे मनुवा मोर । चीं-चीं चिरई हा करत, देवत मधुरस घोर । हरियर हरियर हे गजब, चारो कोती खार  ।। सावन.... छुये हवा जब देह ला, रोम रोम खिल जाय । झूला झूलत देख के, कोन नई हरसाय ।। सरर सरर झूला चले, चुनरी उड़े हमार ।। सावन.... महर महर ममहाय हे, कतका फूले फूल । भवरा बइठे फूल मा, रस चूहे मा मसगूल ।। देख सखी तै संग मा, आके संग हमार ।। सावन.....

कब बोवाही धान

हवय अहंदा खेत हा, कब बोवाही धान । रोज रोज पानी गिरे, मुड़ धर कहे किसान । मुड़ धर कहे किसान, रगी अब तो कब होही । बता ददा भगवान, धान किसान कब बोही ।। कइसन लीला तोर, लगे काहेक छदंहा । बरसे पानी रोज, खेत हा हवय अहंदा ।।

पाना डारा ले लगे

पाना डारा ले लगे, नाचय कतका झूम । हरियर हरियर रंग ले, मन ला लेवय चूम ।। मन ला लेवय चूम, जेन देखय जी ओला । जब ले छोड़े पेड़, परे हे पाना कोला ।। खूंदय कचरय देख, आदमी मन अब झारा । कचरा होगे नाम, रहिस जे पाना डारा ।।

ये दुनिया कइसन हवय

पाना डारा ले लगे, नाचय कतका झूम । हरियर हरियर रंग ले, मन ला लेवय चूम ।। मन ला लेवय चूम, जेन देखय जी ओला । जब ले छोड़े पेड़, परे हे पाना कोला ।। खूंदय कचरय देख, आदमी मन अब झारा । कचरा होगे नाम, रहिस जे पाना डारा ।। ये दुनिया कइसन हवय, जानत नइये कोन । रंगे जग के रंग मा, साधे चुप्पा मोन ।। साधे चुप्पा मोन, मजा दुनिया के लेवत । आके जीवन सांझ, दोस दुनिया ला देवत ।। कइसन के रे आज, जमाना पल्टी खाये । सुनलव कहत ‘रमेश‘, करम फल तै तो पाये ।।

कथे काला गा सिक्छा

पढ़े लिखे मन ध्यान दौ, बतावव एक बात । का मतलब ऐखर हवय, मोला समझ न आत ।। मोला समझ न आत, कथे काला गा सिक्छा । नैतिकता के संग, मिले कोनो ला दिक्छा ।। दुनिया भर के ग्यान, सकेले सिखे पढ़े मन  । अपने सब संस्कार, बिसारे पढ़े लिखे मन ।।

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