दुनिया के हर चीज ला, पइसा धरे खरीद । कहिथे गा धनवान मन, हाथे धरे रसीद ।। हाथ धरे रसीद, कहे मनखे तक बिकथे । नैतिकता ला आज, जगत मा कोने रखथे ।। सुनलव कहय ‘रमेश‘, मया तो हे बैगुनिया । दया मया भगवान, बिके ना कोनो दुनिया ।। -रमेश चौहान
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
2 माह पहले