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कतका झन देखे हें-

गीत सुंदर कांड के-2

जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 सागर करत हे लहर लहर, कोने जावे आघू डहर सागर करत हे लहर लहर, कोने जावे आघू डहर तोरे बिना हे बजरंग, होगे हवन हमन अधर कोने लावय सीता के खबर, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 मनावत कहत हवे जामवंत, उठव उठव गा हनुमंत मनावत कहत हवे जामवंत, उठव उठव गा हनुमंत तोरे असन तो ये जग मा, कहां हवय कोनो बलवंत बानर दल के हस तही कंत, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4 बिसरे बल के कर ले सुरता, लइकापन के अपन बिरता बिसरे बल के कर ले सुरता, लइकापन के अपन बिरता अंग अंग मा तोरे भरे हे बल, जावव झन ये हा अबिरथा दे दे अब हमला धीरजा, जा जा गा पवन सुत 4 हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार हवस तहीं हा राम दूत, राम बर ले हस अवतार गा जा जा गा पवन सुत 4

गीत सुंदर कांड के -1

भजत हे बजरंग- राम राम राम समस्या विकट आय रे - समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे- समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे भजत हे बजरंग- राम राम राम समस्या विकट आय रे - समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे- समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे भजत हे बजरंग- राम राम राम अंगद करे विचार जामवंत के संग संग-जामवंत के संग संग जामवंत के संग संग-सीता के खोज कर कोन हर भरय उमंग कोन हर भरय उमंग-कोन हर भरय उमंग बिधुन होय बजरंग-राम राम राम भजन मा भुलाय रे- समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे ताकत ला बतावय बेंदरा मन अपन-अपन-बेंदरा मन अपन अपन बेंदरा मन अपन अपन-पूरा करय ना कोनो ऊंखर सपन कोनो ऊंखर सपन- कोनो ऊंखर सपन खोजे तब बजरंग-राम राम राम कहां लुकाय रे- समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे खोजत हे सब बेंदरा ऐती तेती जाय जाय-ऐती तेती जाय जाय ऐती तेती जाय जाय-कहां हस बजरंग कती तै बिलमाय कती तै बिलमाय-कती तै बिलमाय मिले जब बजरंग-राम राम राम जामवंत जगाय रे- समुद्दर हे विशाल कोन ओ पार जाय रे

जय जय गुरूदेवा

जय जय गुरूदेवा, तोरे सेवा, करे जगत हा, पाँव धरे । गुरू तहीं रमेशा, तहीं महेशा, ब्रम्हा तहीं बन, जगत भरे ।। सद्गुरू पद पावन, पाप नशावन, दया जेखरे, पाप मिटे। गुरू के हे दाया, टूटे माया, मोह फाँस ले, शिष्य छुटे ।।

कविता

उभरे जब प्रतिबिम्ब हा, धर आखर के रूप । देखावत दरपण असन, दुनिया के प्रतिरूप ।। दुनिया के प्रतिरूप, दोष गुण ला देखाये । कइसे हवय समाज, समाजे ला बतलाये ।। सुनलव कहय ‘रमेश‘, शब्द जब घाते निखरे । मन के उपजे भाव, तभे कविता बन उभरे ।।2।।

दोहा-ददरिया

नायक हसिया धर कांदी लुये, तैं हर धनहा पार । गोई तोला देख के, आवत हवे अजार ।।   नायिका जा रे बिलवा भाग तैं, काबर आये हस पार । आवत हे मोरे ददा, पहिलि खुद ल सम्हार ।। नायक तोर मया ला पाय के, सुध बुध मैं भूलाय । काला संसो अउ फिकर, चाहे कोनो आय ।। नायिका धरे हवे लाठी ददा, आवत हाथ लमाय । छोड़ चटहरी भाग तैं, देही सबो भूलाय ।। नायक मया उलंबा होय हे, कहां हवे डर यार । तोला मे हर पाय बर, आय हवॅव ये पार ।।   नायिका जा जा जोही भाग तैं, तोरे मया अपार । तोरे घर ला मैं धनी, कर लेहूं ससुरार

कलाम ला सलाम

सुनले आज कलाम के, थोकिन तैं हर गोठ । जेन करे हे देश बर, काम बने तो पोठ ।। काम बने तो पोठ, करे हे ओ हमरे बर । बने मिसाइल मेन, बने ओ हमरे रहबर ।। षिक्षक बने महान,  ओखरे शिक्षा चुनले । हमरे भारत रत्न, रहिस शिक्षाविद सुुनले ।।         -रमेश चौहान

मुड धर कविता रोय

स्रोता बकता देख के, मुड धर कविता रोय । सुघ्घर कविता के मरम, जानय ना हर कोय ।। जानय ना हर कोय, अपन ओ जिम्मेदारी । दूअरथी ओ बोल, देत मारे किलकारी ।। ओखर होथे नाम, जेन देथे बड़ झटका । सुनत हवे सब हाॅस, मंच मा स्रोता बकता । आनी बानी गोठ कर, देखावत हे ठाठ एक गांठ हरदी धरे, मुसवा बइठे हाठ ।। मुसवा बइठे हाठ, भीड़ ला बने सकेले । जेखर बल ला पाय, होय बइला हूबेले ।। छटे सबो जब भीड़, फुटय ना मुॅह ले बानी । एके ठन हे गांठ, कहां हे आनी बानी ।। जइसे ओखर नाम हे, दिखे कहां हे काम । कड़हा कड़हा बेच के, पूरा मांगे दाम ।। पूरा मांगे दाम, अपन लेवाल ल पाये । मिलावटी हे झार, तभो सबला भरमाये ।। चिन्हे ना सब सोन, सोन पालिस हे कइसे । बेचे से हे काम, बेचा जय ओहर जइसे ।।

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