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संदेश

कतका झन देखे हें-

दाई, दाई शक्ति ओ

दाई दाई शक्ति ओ, भगतन करत पुकार । तोरे हमला आसरा, करव हमर उद्धार ।। चांदावन के पार मां, आदि शक्ति के ठांव । भक्त शक्ति दाई कहय, शीतल जेखर छांव ।। जेन दरद ला मेटथे, सुने भगत गोहार । दाई दाई शक्ति ओ.... हवय नवागढ़ खार अउ, मुरता गांवे बीच । महिमा ला बगराय के, भगतन लेवत खीच । लगे रेम हे भक्त के, धरे मनौती झार । दाई दाई शक्ति ओ..... जगमग जगमग जोत करय, जब आये नवरात । ढोलक मादर थाप ले, तोरे जस सब गात ।। नौ दिन अउ नव रात ले, करत तोर जयकार । दाई दाई शक्ति ओ.... दाई सुन के तोर जस, मांगे भगत मुराद । कोनो दौलत मांगते, कोनो मुख संवाद । कोनो मांगे नौकरी, कोनो लइका प्यार । दाई दाई शक्ति ओ... सबके पोछे आसु तैं, अपन गोद बइठाय । हॅसत गात तब तो भगत, अपने द्वारे जाय । जय हो दाई षक्ति के, करत सबो जयकार । दाई दाई शक्ति ओ...

कब लाबे बारात

नायक सरर-सरर डोलत हवय, तोर ओढ़नी छोर । संग केष मुॅह ढाक के, रूप निखारे तोर ।। नायिका झुलुप उड़े जब तोर गा, मन हरियावय मोर । चमक सुरूज कस हे दिखय, मुखड़ा के तो तोर ।। नायक गरहन लागय ना तोर मुॅह, चकचक ले अंजोर । चंदा कामा पूरही, अइसन मुखड़ा तोर । नायिका गज भर छाती तोर हे, लंबा लंबा बाह । झूला झूलत मैं कभू,  कहां पायेंव थाह ।। नायक कारी चुन्दी के घटा, छाये हे घनघोर । भीतर  मैं धंधाय हॅव, निकलव कोने कोर ।।   नायिका बोली तोरे मोहनी, राखे मोला घोर । जांव भला मैं कोन विधि, संगे तोरे छोर । नायक छोड़ जगत के बंधना, बांध मया के गांठ । जनम जनम के मेल कर, खाई ला दी पाट ।। नायिका हवे अगोरा रे धनी, कब लाबे बारात । आके तोरे अंगना, करॅव मया बरसात ।।

अंखियन के बात हा

मोरे तैं मन मोहनी, आंखी पुतरी मोर। मोरे तैं दिल जोंगनी, मोरे तैं अंजोर ।। सुघ्घर सपना मोर तैं, आंखी काजर मोर । धड़कन दिल के तैं हवस, मोहन कस चित चोर ।। धरे करेजा हाथ मा, जोहत रद्दा तोर । धक धक मोरे दिल करय, सुन पैरी के शोर ।। छुईमुई बानी हवय, धनी चेहरा मोर । देखे के मन लालषा, तोपॅव अचरा छोर ।। लकड़ी मा आगी बरे, आगी जभे लगाय । जोत मया के हे जले, जब हम नजर मिलाय ।। अंखियन के बात हा, सिरतुन गजब सुहाय । नजर परे जब नजर ले, बैरी कोन हटाय ।। बैरी कोनो ना जगत, बैरी तहीं कहाय । लुका-लुका तैं देखथस, जियरा मोर जलाय ।। लोकलाज का जानबे, टूरा बन तैं आय । गहना मोरे लाज के, तोही ला तो भाय ।।

जय जय मइया जग कल्याणी

जय जय मइया आदि भवानी । जय जय मइया जग कल्याणी तोरे भगतन सेवा गावय । आनी बानी रूप सजावय सोलह सिंगार तोर माता । परम दिव्य हे जग विख्याता मनखे भगती अपन देखावय । सुघर रूप ला अउ सुघरावय पांव महुर दे पैजन बांधे । चुटकी बिछिया संगे सांधे कनिहा मा करधन पहिरावय। करधन घुंघरू बाज बजावय ककनी बहुटा हाथ सजाये । लाल चुरी संगे पहिराये लाली लुगरा अउ लाल चुनर । सुतिया पहिरावय माॅं के गर कानन कुण्डल नथली नाके । गाल इत्र चंदन ले ढाके मांघे मोती बिन्दी माथे । फूलन गजरा चुन्दी गाथे । सब सिंगार मा विष्वास भरे । भगतन श्रद्धा ले भेट करे मइया स्वीकार करव सेवा । भगती के दव हमला मेवा

लाल बहादुर लाल हे

लाल बहादुर लाल हे, हमर देष के शान । सीधा-सादा सादगी, जेखर हे पहिचान ।। सैनिक मन के हौसला, जेन बढ़ाये घात । भुईया के भगवान के, करे पोठ जे बात ।। दे नारा जय जवान अउ, जय हो हमर किसान । लाल बहादुर लाल हे.... निर्धनता ला जेन हा, माने ना अभिशाप । मुखिया होके देश के, छोड़े अपने छाप ।। राज धरम के जेन हा, करे खूब सम्मान । लाल बहादुर लाल हे.... खास आम सब ले कहे, मात्र एक संदेश । करव कर्तव्य सब अपन, आवय सबके देश ।। तुहर भरोसा देश हे, जेखर तुहीं मितान । लाल बहादुर लाल हे...

धर गांधी के बात ला

धर गांधी के बात ला, अपने अचरा छोर । सत्य अहिंसा के डहर, रेंगव कोरे कोर ।। दिखय चकाचक गांव हा, अइसे कर तैं काम । दूर करव सब गंदगी, होवय जउन तमाम ।। साफ सफाई होय ना, तन-मन के गा तोर । धर गांधी के बात ला.... मार काट ला छोड़ के, जोत शांति के बार । पर धन नारी देख के, कर झन अत्याचार ।। अपन आचरण कर सुघर, झन तैं दांत निपोर । धर गांधी के बात ला.... गलती दूसर के दिखय, भीतर देखे कोन । मन के दरपन हाथ मा, काबर बइठे मोन ।। सच हा सच होथे सदा, रखे जेन झकझोर । धर गांधी के बात ला... महावरी के पाठ हे, ईसु बढ़ाये मान । बाबा घासी दास हा, करे हवे फरमान ।। राम रहिम के देश मा, सच ईश्वर हे तोर । धर गांधी के बात ला.....

जय मां भवानी आदि माता

जय मां भवानी आदि माता, तैं जगत के रचइया । सब जीव अउ, निरजीव के, मइया तहीं, हस बसइया ।। कण-कण रचे, जन-मन बसे, तोरे मया, परकाश्‍ा ओ । तोरे दुवारी हम खड़े, हन धर हृदय, विश्‍वास ओ । करथस मया सब बर बराबर, मान तैं संतान ओ । अवगुण धरे ना तैं हमर, नादान हमला जान ओ ।। सद्बुद्धि अउ सुविचार के, तैं बाटथस परसाद ओ । झोली खुश्‍ाी भर के हमर, तैं मेटथस अवसाद ओ ।। गोहार सुन अपने भगत के, श्‍ोर मा चढ़ आय ओ । बनके कभू दुर्गा कभू काली, भगत हष्र्‍ााय ओ ।। मारे धरा के सब दुष्‍ट ला, सद्पुण्य ला बिलगाय ओ । राखे धरम के लाज ला, अपने धजा लहराय ओ ।

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