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संदेश

कतका झन देखे हें-

दीया के दरद

माटी दीया हा कहय, काखर मेरा जांव । कोनो फटकय ना इहां, काला दरद बतांव ।   खाथें मोरे अन्न ला, सोथे मोरे छांव । मोरे कोरा छोड़ के, कहां करे हे ठांव ।। दीया बाती हा हवय, जस पानी मा मीन । रिगबिग ले बिजली बरे, फुटे फटाका चीन ।। पढ़े लिखे लइका इहां, बइठे आलू छील । काम करय ना चीन कस, देखत रहिथे झील ।। दर दर मांगय नौकरी, कागज ला देखाय । काम बुता जानय नही, कोने हुनर बताय ।। स्वाभिमान हा कति सुते, देश प्रेम बिसराय । माटी दीया बार लव, अपने मान जगाय ।।

देवारी

चिरई चिरगुन कस चहकय लइका । पाके आमा कस गमकय लइका । आगे    आगे      देवारी       आगे, कहि के बिजली कस दमकय लइका । खोर अंगना मा रंगोली पुरय लइका । ले सखी सहेली देखे बर जुरय लइका । रंग रंग के हे रंगोली सुघर अतका, देख फूल कस भवरा बन घुरय लइका ।। दीया म बाती ला बोरय लइका । बाती म आगी ला जोरय लइका ।। देवारी के अंजोरे बगरावय, देखव फटाका ला फोरय लइका । खोरे मा जब सिगबिग सिगबिग आगे लइका । चंदैनी कस रिगबिग रिगबिग छागे लइका । ऐती ओती चारो कोती कूदत नाचत, मुचमुच हासत सौंहे देवारी लागे लइका ।

दू ठन मुक्तक

1 गजल शेर के घला नियम होथे । लिखे बोले मा जिहां संयम होथे ।। रदिफ काफिया बिना जाने कतको गजलकार के इहां नजम होथे । 2 मन के पीरा हरय कोन । ठउरे ओखर भरय कोन ।। वो हर चलदिस जगत छोड़ । रहि के जींदा मरय कोन ।।

चुप हे ता सब कुछ बने

चुप हे ता सब कुछ बने, मुॅह खोलत बेकार । मनखे हिन्दूस्थान के, कबतक रहय गवार ।। सहत रहिन ता सब बने, जागे मा हे बेकार । का काठा अउ का पसर, मुठ्ठी बोलय झार ।। रहय दूध मा जल मिले, कहां हवय परहेज । पानी पानी दूध मा, दूध रहय निस्तेज ।। ओखर मैना पोसवा, बोलय ओखर गोठ । तोर खीर पातर हवय, ओखर नून ह पोठ ।। करिया कउॅंवा कोइली, दिखथे दूनो एक । बिन बोले गा ऊंखरे, काला कहि हम नेक ।।

आगे देवारी

आगे देवारी, हमर दुवारी, कर तइयारी, जोश भरे । जब सॉफ-सफाई, पाथे दाई, सॅउहे आथे, खुशी धरे ।। ये यचरा-कचरा, घुरवा डबरा, फेकव संगी, तुमन बने । घर-कुरिया पोतव, सुग्‍घर सोचव,  दाई आी, बने ठने।।

मँहगाई म देवारी कइसेे मनावँव

कहां कहां जावंव, कइसे लावंव, दीया बाती, तेल भरे । देख मँहगाई, कइसन भाई, जियरा छाती, मोर जरे ।। आसो देवारी, मोरे दुवारी, कइसे आही, सोच भरे । लइका का जानय, कइसे मानय, मँइगाई मा, ददा मरे ।।

तोर मया ला पाय के

नायक- अपने अचरा छोर मा, बांध मया के डोर। लहर लहर जब ये करय, धड़कन जागय मोर ।। नायिका- तोर मया के झूलना, झूलॅंव अंगना खोर । सपना आंखी हे बसे, देबे झन तैं टोर ।। नायक- फूल असन हाॅसी हवय, कोयल बानी गोठ । चंदा बानी मुॅह हवय, मया हवे बड़ पोठ ।। दरस परय बर तोर मैं, तांकव बने चकोर । अपने अचरा छोर मा... नायिका- तोर देह के छांव कस, रेंगॅंव संगे संग । छाय मया के जब घटा, दूनों एके रंग ।। मोरे तन मन मा चढ़े, रंग मया के तोर ।। सपना आंखी हे बसे... नायक- तोर मोर सपना हवय, जस नदिया अउ कोर । छोर बिना नदिया कहां, नदिया बिन ना छोर ।। नायिका लहर लहर अचरा करय, तोर बांह के छोर । तोर मया ला पाय के, होगे मोरे भोर ।।

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